– दस के परीक्षा परिणाम पर फैसला नहीं, 11 में पढ़ाने का फरमान
– कोरोना में ऑफ लाइन परीक्षा कराने की स्थिति नहीं
– प्रतियोगी परीक्षाओं में 2021 में प्रतिशत की अनिवार्यता हो समाप्त
ओबरा (सतीश चौबे):- विद्यार्थियों की मन: स्थिति का आंकलन किये बगैर एक के बाद एक यूपी बोर्ड के जिम्मेदारों द्वारा उटपटांग आदेश जारी हो रहे हैं, जिससे शिक्षक और विद्यार्थियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उक्त बातें माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद चौबे ने, प्रधानमंत्री, पीएमओ, यूपी के सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री सहित कई जिम्मेदारों को ट्वीट किया है। जिलाध्यक्ष ने कहा है कि कभी खुशी कभी गम की तरह सरकारी फरमान विद्यार्थियों को बुरी तरह मानसिक वेदना दे रहे हैं। अफसोस इस बात की है कि कोई स्पष्ट निर्णय लेने के बजाय केवल भ्रम फैलाए जा रहे हैं। कोविद 19 कोरोना के प्रभावों पर विद्यार्थियों की सुरक्षा पर कम और अन्य विषयों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। जिसके चलते विद्यार्थी अत्यधिक तनाव में हैं। कोरोना की स्थिति देखी जाए तो परीक्षा कराने लायक नहीं है। ऐसी स्थिति में अन्य बेहतर विकल्पों पर विचार किया जाना जरूरी है। इस समय परीक्षा कराना विद्यार्थियों, शिक्षकों और परीक्षा से जुड़े लोगों का जीवन जान बूझकर संकट में डालना है। मनमानी रवैया छोड़कर इंसान के जीवन की सुरक्षा को अनिवार्य रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए। न समझ में आए तो भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 19 जीने के अधिकार पर महज गम्भीरता से विचार कर लिया जाए तो संकट के निदान के मार्ग मिल जाएंगे। यहाँ जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय आपात की स्थिति में भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 को न तो स्थगित किया जाता है और न ही उस पर रोक लगती है। कोरोना जब वैश्विक महामारी घोषित हो चुकी है तो कोरोना को कम आंकना विद्यार्थियों के जीवन के साथ संकट खड़ा करना है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि इंटरमीडिएट उत्तीर्ण के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अभियांत्रिकी आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में न्यूनतम प्रतिशत अनिवार्य होते हैं, तभी विद्यार्थी उन प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो पाते हैं। सत्र 2021 में न्यूनतम प्रतिशत की अनिवार्यता समाप्त कर सभी उत्तीर्ण विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल करने की फैसला केंद्र सरकार को लेनी की जरूरत है ताकि देश के विभिन्न प्रान्तों में इंटरमीडिएट की परीक्षा को लेकर आ रही समस्या का समाधान हो सके। इंटरमीडिएट के अंक के आधार के लिए हाई स्कूल, 11 अर्द्ध वार्षिक- वार्षिक, 12 प्री बोर्ड परीक्षा आदि स्वीकार किया जा सकता है। छतीसगढ़ में घर पर उत्तर पुस्तिका और प्रश्न पत्र ले जाने के आदेश उचित नहीं है। इस तरह के फैसले सत्तासीन पार्टी को वोट भले दिला दे पर शिक्षा का बेड़ा गर्क करा देगा।