जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से दैनिक जीवन के शास्त्रोक्त नियम
दैनिक जीवन के शास्त्रोक्त नियम
अच्छे और सुखी जीवन के लिए शास्त्रों के अनुसार कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। यहां जानिए ब्रह्मवैवर्तपुराण में बताए गए ऐसे काम जो कभी नहीं करना चाहिए। जो लोग ये काम करते हैं, उनके घर-परिवार में दरिद्रता बढ़ने लगती है।
इन चीजों को जमीन पर न रखें
- दीपक,
- शिवलिंग,
- शालग्राम (शालिग्राम),
- मणि,
- देवी-देवताओं की मूर्तियां,
- यज्ञोपवीत (जनेऊ),
- सोना और
- शंख,
इन 8 चीजों को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें नीचे रखने से पहले कोई कपड़ा बिछाएं या किसी ऊंचे स्थान पर रखें।
इन तिथियों पर ध्यान रखें ये बातें
हिन्दी पंचांग के अनुसार किसी भी माह की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर स्त्री संग, तेल मालिश और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
सुबह उठते ही ध्यान रखें ये बातें
स्त्री हो या पुरुष, सुबह उठते ही इष्टदेव का ध्यान करते हुए दोनों हथेलियों को देखना चाहिए। इसके बाद अधिक समय तक बिना नहाए नहीं रहना चाहिए। रात में पहने हुए कपड़ों को शीघ्र त्याग देना चाहिए।
इनका अनादर नहीं करना चाहिए
हमें किसी भी परिस्थिति में पिता, माता, पुत्र, पुत्री, पतिव्रता पत्नी, श्रेष्ठ पति, गुरु, अनाथ स्त्री, बहन, भाई, देवी-देवता और ज्ञानी लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए। इनका अनादर करने पर यदि व्यक्ति धनकुबेर भी हो तो उसका खजाना खाली हो जाता है। इन लोगों का अपमान करने वाले व्यक्ति को महालक्ष्मी हमेशा के लिए त्याग देती हैं।
रविवार को ध्यान रखें ये बातें
रविवार के दिन कांस्य के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। इस दिन मसूर की दाल, अदरक, लाल रंग की खाने की चीजें भी नहीं खाना चाहिए।
तय तिथि पर पूरा करना चाहिए दान का संकल्प
यदि हमने किसी को दान देने का संकल्प किया है तो इस संकल्प को तय तिथि पर किसी भी परिस्थिति में पूरा करना चाहिए। दान देने में यदि एक दिन का विलंब होता है तो दुगुना (दोगुणा) दान देना चाहिए। यदि एक माह का विलंब होता है तो दान सौगुना हो जाता है। दो माह बितने पर दान की राशि सहस्त्रगुनी यानी हजार गुना हो जाती है। अत: दान के लिए जब भी संकल्प करें तो तय तिथि पर दान कर देना चाहिए। अकारण दान देने में विलंब नहीं करना चाहिए।
दिन के समय न करें समागम
दिन के समय और सुबह-शाम पूजन के समय स्त्री और पुरुष को समागम नहीं करना चाहिए। जो लोग यह काम करते हैं, उन्हें महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। कई प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से स्त्री और पुरुष, दोनों को आंख और कान से जुड़े रोग हो सकते हैं। साथ ही, इसे पुण्यों का विनाश करने वाला कर्म भी माना गया है।
घर में प्रवेश करते समय ध्यान रखें ये बातें
हम जब भी कहीं बाहर से लौटकर घर आते हैं तो सीधे घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। मुख्य द्वार के बाहर ही दोनों पैरों को साफ पानी से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही घर में प्रवेश करें। ऐसा करने पर घर की पवित्रता और स्वच्छता बनी रहती है।
पुरुषों को ध्यान रखनी चाहिए ये बात
पुरुषों को कभी भी पराई स्त्रियों को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। कभी भी मल-मूत्र को भी नहीं देखना चाहिए। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार ये काम विनाश की ओर ले जाते हैं। इनसे दरिद्रता बढ़ती है।
स्त्रियां को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें
जो स्त्रियां अपने पति को डांटती हैं, सताती हैं, पति की आज्ञा का पालन नहीं करती हैं, सम्मान नहीं करती हैं, उनके पुण्य कर्मों का क्षय होता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जो स्त्रियां वाणी द्वारा दुख पहुंचाती हैं वे अगले जन्म में कौए का जन्म पाती हैं। पति के साथ हिंसा करने वाली स्त्री का अगला जन्म सूअर के रूप में होता है।
ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए
किसी बुरे चरित्र वाले इंसान के साथ एक स्थान पर सोना, खाना-पीना, घूमना-फिरना वर्जित किया गया है। क्योंकि किसी व्यक्ति के साथ बात करने से, शरीर को छूने से, एक स्थान पर सोने से, साथ भोजन करने से, एक-दूसरे के गुणों और दोष आपस में संचारित अवश्य होते हैं। जिस प्रकार पानी पर तेल की बूंद गिरते ही वह फैल जाती है, ठीक उसी प्रकार बुरे चरित्र वाले व्यक्ति के संपर्क में आते ही बुराइयां हमारे अंदर प्रवेश कर जाती हैं।
ब्रह्मवैवर्तपुराण का परिचय
यह पुराण वैष्णव पुराण है। इस पुराण के केंद्र में भगवान श्रीहरि और श्रीकृष्ण हैं। यह चार खंडों में विभाजित है। पहला खंड ब्रह्म खंड है, दूसरा प्रकृति खंड है, तीसरा गणपति खंड है और चौथा श्रीकृष्ण जन्म खंड है। इस पुराण में श्रेष्ठ जीवन के लिए कई सूत्र बताए गए हैं।