मुंबई से आये राज्यमंत्री अमर जीत मिश्रा मिल रहे हैं कलमकारों -कलाकारों से वाराणसी में मोदी के समर्थन के लिये

मोदी को समर्थन देने के लिए राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र काशी के विभिन्न लोगों से मिले।

वाराणसी।वाराणसी गीत- संगीत ,कला -कलमकार व संस्कार -संस्कृति की परंपराओं को सहेजनेवाला प्राचीन शहर है।यहाँ से सम्बंध रखनेवाले हर शख्स में एक अक्खड़ व फक्कड़ अंदाज के दर्शन हो ही जाते हैं।मोक्ष दायिनी मां गंगा ने 2014 में इस देश को परम वैभव के शिखर पर ले जाने के लिए श्री नरेंद्र मोदी को काशी बुलाया था।मोदी ने हिंदुस्थान को विश्व गुरु बनाने की दिशा में जबर्दस्त कोशिश शुरु की।आज काशी के साथ साथ देश का हर नागरिक इसका अहसास करने लगा है।कला संगीत की पोषक काशी में कलमकारों का लब्ध प्रतिष्ठित वर्ग रह्ता है।”का गुरु-हां गुरु” बोलनेवाले इस काशी में महाराष्ट्र के राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र गर्म चुनावी माहौल में साहित्य की ठंडक का अहसास करने 85 वर्षिय तरुण श्री हरेराम द्विवेदी से मुलाकात की।उन्हें मोदी जी के कामों से अवगत कराया तो जानकर हैरानी हुई कि अपने सेवा निवृति की रजत जयंती मना रहे इस अति सक्रिय कलम के आराधक ने मोदी जी की वजह से देश के बढते रूतबे का विस्तार से वर्णन किया।ये वही हरेराम जी हैं जिन्होने खुबसूरत देशभक्ति का गीत लिखा है “माई हो ललनवा देदा – बहिनी हो बीरनवा दे दा,देसवा के करनवा अपने , गोदिया क सुगूनवा दे दा।”

धन्य हैं हरेराम जी, धन्य है काशी।

एक अंदाज यह भी:

संस्कृति का सम्मान भी ,प्रचार के संग संदेश भी।

पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य साहित्य व संगीत के वरिष्ठ हस्ताक्षर हैं।काशी की अनुपम विरासत को सिर्फ सहेज कर रखे ही नहीं हैं बल्कि उसे शिद्दत से जीते हैं।मस्त मौला यह संगीतकार अपनी कला का दाम लगानेवालों से कोसों दूर भागता है।”राजा ,मालिक और गुरु” सिर्फ इन्हीं संबोधनों से अच्छे अच्छोँ को उसकी औकात बता देने वाले बनारसीयों के मिजाज के कयि किस्से आचार्य जी ने सुनाए।

खयाल ,धमार व ध्रुपद के साथ साथ भक्ति संगीत में पारंगत आचार्य जी की उंगलियां चमत्कारिक ढंग से चित्र कला में भी नए रंग भरती हैं।हिंदी फिल्मों के “मेरे खयालों के आंगन में कोई सपनों के दीप जलाए जैसे

गीतों को हिंदी साहित्य का धरोहर मानने की आचार्य जी की भावना के हम भी पैरोकार हैं।सो लम्बी बातचीत हुई।बेमन से उठे क्युंकि कहीं और भी जाना था ।श्री मिश्र ने उठते उठते मोदी जी को वोट देने का आग्रह किया तो आचार्य बोले “अब तू बतऊबा कि गंगा के बेटा मोदी के वोट देवे चाही।अब काशी के मोदी पर गर्व ह्व्वे और देसवो के मोदी पर गर्व हव।” हर हर महादेव।

समाजिक कार्यकर्ता डॉ रितु गर्ग व डॉ संजय गर्ग से भी मिले-
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी अपने अनोखे मिजाज के लिए प्रसिद्ध है।आटो रिक्शा में बैठे ड्राईवर को यदि पूछिये कि भईया ,चलोगे? तो वह सूरती मलते हुए कहेगा कि नहीं ,कोई और आटो कर लो। उसी समय कोई दूसरा व्यक्ति उससे पुछे कि का गुरु, सूरती खाय ल ,जब मूड़ होय जाय तब बताया,त चला जाये।वह ड्राईवर तत्काल सूरती मुंह में डाल कर तैयार हो जायेगा।चलअ मालिक,छोडि देयि तोहे।अब आप सोचेंगे कि यह आदमी पहले क्यूँ नही चला? तो वह बतायेगा कि जब देखत ह्व्वूआ कि सूरती खाय के मिजाज बनावत हई,त,बिच्चे मे टोंक देत हव्वन।लोगन के जरुरत से हम ना चलि पावूब।अगर दिन भर लोगन के मन्ने से काम करे के होत त नौकरी कई लेयित।पर आपन आटो येही खातिर चलावत हई कि जब मिजाज होए तब काम करब।केहू के बापे कअ कहिले ना हई।
इसी तरह के अद्भूत सोच की पैरोकार है काशी।

काशी मुंशी प्रेमचंद- जयशंकर प्रसाद के लेखन की साक्षी बनी,तो महामना मदन मोहन मालवीय के
सपनों की हकीकत में बदलते देखी। काशी माँ गंगा की कृपा से अब बाबा विश्वनाथ के मंदिर के परिसर को भव्य होते देख रही है।बदलती काशी मे हम मोदी जी का प्रचार करने का भाग्य पाये।समाजिक कार्यकर्ता डॉ रितु गर्ग व उनके पति डॉ गर्ग के घर जाकर उनसे मिले और त्रिपुरा के गुरु श्री मिश्रा जी से भी मिलकर उन्हें मोदी जी के साथ रहने का निवेदन किया।सभी ने माना बदल रही है काशी-बदल रहा है देश।हर घर मोदी-घर घर मोदी।

मोदी को समर्थन देने के लिए राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र काशी के विभिन्न लोगों से मिले।शनिवार की सुबह उन्होने समाजिक कार्यकर्ता डॉ रितु गर्ग व डॉ संजय गर्ग से भी मुलाकात की।महानगर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों से भी मिले।

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