70 फ़ीसदी रोगियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उचित इलाज नहीं मिल पाता है
आजमगढ़।मिर्गी को एक सामान्य रोग होने के बावजूद शिक्षित समाज में आज भी इस रोग के मरीजों को कलंक के रूप में देखा जाता है। अकेले भारत में इनकी संख्या एक करोड़ से भी अधिक है, जिसमें 70 फ़ीसदी रोगियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उचित इलाज नहीं मिल पाता है। सामान्यतः अधिकतर मरीज कुछ वर्षो के इलाज के उपरांत स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की भी है जो जीवन भर दवा खाते रह जाते हैं और उनमें से कुछ को तो दवाइयों के बावजूद मिर्गी के झटके आते रहते हैं। ऐसे मरीजों के लिए ईपीलेप्सी सर्जरी एक वरदान से कम नहीं है। न्यूरो सर्जन डा. अनूप यादव ने इसी सर्जरी के जरिये एक मरीज को पूरी तरह स्वस्थ्य किया है।
बता दें कि आजमगढ़ जिले के मंझरिया गांव निवासी चंद्रजीत यादव की पुत्री अंकिता पिछले 8 वर्षों से मिर्गी के दौरों से पीड़ित थी। पिता ने मुंबई से लेकर चंडीगढ़ तक तमाम बड़े अस्पतालों के चक्कर कांटे और पिछले कई सालों से नियमित इलाज लेते रहे फिर भी अंकिता के झटके हर हफ्ते बने रहे। रिश्तेदारों की सलाह पर परिजन अंकिता के साथ लाइफ लाइन हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर अनूप कुमार सिंह से मिले। डॉ अनूप ने नए स्तर से सारी जांच कराने के उपरांत यह पाया कि अंकिता को टेंपोरल लोब इपीलेप्सी है, जिसका कारण एमटीएस नामक बीमारी है।
डॉ. अनूप ने 24 जून 2019 को लगभग 8 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान (जिसे नवीनतम तकनीकों इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी (ब्रेन मैपिंग) एवं नेविगेशन के साथ किया। अंकिता के दिमाग के बाएं हिस्से में मौजूद एमटीएस नामक गांठ को निकाल दिया गया। ऑपरेशन के पूर्व अंकिता को हर हफ्ते मिर्गी के झटके इलाज के बावजूद आते रहते थे लेकिन अब अंकिता पूरी तरह से स्वस्थ है। केजी मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के बाद इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करने वाला लाइफ लाइन हॉस्पिटल उत्तर प्रदेश का दूसरा अस्पताल है। मिर्गी के झटको के मरीजों के लिए आशा की एक नई किरण जगी है।