सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- जिले के सुप्रसिद्ध शिवद्वार धाम में सोन विंध्य गंगा सेवा संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में चल रहे श्रीअभिषेकात्मक रुद्रमाहायज्ञ के पांचवें दिवस प्रथम सत्र में यज्ञअभिषेक के बाद द्वितीय प्रहर में वृन्दावन से आई बाल विदुषी किशोरी साक्षी नेश्रीराम राज्याभिषेक तिथि घोषित होने पर छल प्रपंच के आंतरिक आधिपत्य की मर्मस्पर्शी कथा के प्रसंग को संदर्भित करते हुए कैकेयी के दो वचनों के मांगने की और समूल परिणति की व्याख्या की। देवी सरस्वती द्वारा कैकेयी-मन्थरा की जिव्हा से मुखरित स्वर परिवर्तन का निष्कर्ष हुआ राम वन गमन और भरत को राज्याभिषेक।इसके पूर्व भरत शत्रुघ्न का ननिहाल निकल जाना और राम को उत्तराधिकारी घोषित करना कपट माना कैकयी ने जबकि पालन-पोषण, शिक्षा गुरुकुल की, विवाह एक साथ होना परन्तु राज्याभिषेक अकेले घोषित करना व वर मांगने के लिए कोप भवन जाना आदिक आद्योपांत कथ्य के साथ तथ्य प्रस्तुत किये। इसके पूर्व मन्च से आरती व कथा प्रारम्भ होने के मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का सोन विन्ध्य गंगा सेवा संस्कृति संस्थान के संस्थापक संचालक डॉ.परमेश्वर दयाल श्रीवास्तव “पुष्कर” ने स्मृति फिल्म अंगवस्त्रम पुष्पहार भेंट कर कर पण्डित हरिराम मिश्र, राजीव कुमार राजू व रामानंद पाण्डेय को सम्मानित किया। इस दौरान श्री पुष्कर नेशिवद्वार की सत्ता महत्ता बताते हुए 1985 में उत्तराखंड बदरिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी विष्णुदेवानन्द सरस्वती द्वारा शिवद्वार मन्दिर जीर्णोद्धार के बात पुनः प्राणप्रतिष्ठा कीथी जहां कल शनिवार को हाईकोर्ट के मुख्यन्यायाधीश प्रयागराज इलाहाबाद एम.एन भंडारी जी प्रातः आठ बजे शिवद्वार मन्दिर प्रतिमा का दर्शन पूजन स्तवन करेंगे । इसके बाद मुख्या जलप्रपात को प्रस्थान करेंगे जो उत्तर से दक्षिण तक महिमामण्डित है शिवद्वार से हरिद्वार व बद्री केदार से तिब्बत स्वर्गद्वार तक। मन्च से श्रोत्रिसमुदाय तक भावाभिभूत रहने वाले प्रमुख लोगों में क्षमाशंकर द्विवेदी,अनुष्का पाठक,जमुना प्रसाद मिश्र, पण्डित रामनिवास शुक्ल, विजयानन्द मिश्र, सच्चिदानंद मिश्र, राघवेंद्र सिंह समेत भक्तप्रण जनों से पूरा प्रशाल व मन्दिर परिसर भरा रहा।