घोरावल-सोनभद्र- भारतीय संस्कृति सनातन धर्म में वैशाखी पूर्णिमा का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाने की परंपरा रही है। आचार्यों ने बताया कि इस बार बुद्ध पूर्णिमा भी वैशाखी पूर्णिमा बुधवार को पड़ रही है इसके अतिरिक्त सिद्धि विनायक पूर्णिमा भी इसी दिन है जिससे पूर्णिमा क्या महत्व और बढ़ गया है। श्री सिद्धेश्वर महादेव सेवा संस्थान के

संस्थापक राम अनुज धर द्विवेदी ने बताया कि व्रत करता को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद श्री धर्मराज भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनका श्रृंगार करने के उपरांत पूर्ण श्रद्धा भक्ति भाव व आस्था के साथ ऋतु फल मिष्ठान आदि अर्पित करके धूप दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धर्मराज की प्रसन्नता के लिए मिष्ठान व अन्य वस्तुएं उपहार कमसे कम पांच ब्राह्मण को दान स्वरूप देना चाहिेए। श्री धर्मराज की पूजा अर्चना करने से अकाल मृत्यु के भय का निवारण तथा सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना और कथा का श्रवण करने का विशेष महत्व है। इसी तरह सत्य विनायक व्रत भी बैसाखी पूर्णिमा को रखा जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वैशाख पूर्णिमा का महत्व अपने परम मित्र सुदामा को उस समय बताया था जब वे द्वारिका पहुंचे थे। श्री कृष्ण के बताने के अनुसार सुदामा जी ने व्रत किया और उनकी दरिद्रता दूर हो गई। श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर महुआंव पाण्डेय में श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन पूजन के साथ श्री सत्य नारायण भगवान की कथा का श्रवण किया गया। श्री सिद्धेश्वर महादेव सेवा संस्थान के संस्थापक ने सपरिवार संस्था के पदाधिकारियों के साथ व्रत कथा का श्रवण किया।
इस दौरान जनार्दन प्रसाद पाण्डेय,प्रेरित धर, सतीश पांडेय, श्याम धर ,प्रज्ज्वल धर सहित कई लोग कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त किया।
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