बभनी क्षेत्रों में पलाश के पेड़ों से विलुप्त हुई लाह की प्रजाति

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

सन् 1939 में मध्य प्रदेश के वन अधिकारी के द्वारा ब्युटिया ल्युटिया के नाम से किया गया था सम्मानित-अवध नारायण मिश्र।

बभनी– राज्यपुष्प की उपाधि प्राप्त करने वाला पौधा पलाश जो क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर पाया जाता है जो औषधीय पौधा भी माना जाता है इसे पलाश परसा टूल ढाक टेसू जैसे नामों से जाना जाता है आज क्षेत्र में इनका महत्व कम होने लगा है जो औषधीय कार्यों में भी प्रयोग किया जाता है इस क्षेत्र में पलाश के पेड़ तो व्यापक पैमाने पर पाए जाते हैं परंतु इनका प्रयोग केवल जलावनी लकड़ियों के लिए ही किया जाता है सन् 2005 से ही पलाश के पेड़ों से लाह विलुप्त हो गए जिससे क्षेत्रीय किसान व्यवसाई लाह का बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करते थे और हर आम आदमी भी छोटे पैमाने पर इसका उत्पादन किया करते थे जिससे क्षेत्र में लोगों को भी आर्थिक स्थिति में सहयोग मिलता था। मामले की जानकारी देते हुए वन क्षेत्राधिकारी बभनी अवध नारायण मिश्रा ने बताया कि पलाश को सन् 1939 में मध्य प्रदेश के नीमच शिवपुरी झबुआ जिलों में इकट्ठा करके सर्व प्रथम वन अधिकारी सौग्रिया ने प्लोरा आफ मध्य प्रदेश कहकर सम्मानित किया था और इसका नाम ब्युटिया ल्युटिया रखा जो आज हमारे क्षेत्र में लोग जानकारी के अभाव में इसके महत्व को नहीं समझते और इसे केवल जलावनी लकड़ी ही समझते हैं पलाश में लगे लाह से चूड़ियां भी बनाई जाती हैं और पोस्टमार्टम के लिए बाडी डिस्पैच कागज़ या किसी जरुरी लिफाफों को पैक करने के काम आता है यह औषधीय पौधा भी है यदि इससे संबंधित शासन के द्वारा क्षेत्र में कोई कारखाने खोल दिए जाते तो पलाश के पौधे का महत्व भी समझ में आता बेरोजगारी भी कम होती और इसका महत्व समझते हुए लोग व्यापक पैमाने पर पलाश की सुरक्षा भी करते।

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