बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)स्वयं सहायता समूह के तहत अपने संगठन के साथ किया जाता है हस्तनिर्मित उत्पाद।बभनी। विकास खंड में रोजगार को लेकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की अहम भूमिका रही है स्वयं सहायता समूह के तहत कई महिला संगठन काम कररहे हैं। दक्षिणांचल का आखिरी छोर पर बभनी विकास खंड में दलित पिछड़े गरीब व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहां काफी लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा था वहीं स्वयं सहायता समूह के तहत महिलाओं का संगठन तैयार कर एनआरएलएम जोर-शोर से जुटा है और महिलाओं को कुछ आर्थिक सहयोग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में कामयाबी की ओर बढ़ाया जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार रोजगार को लेकर एक नया सपना देख रही थी वहीं महिलाओं ने उसे साबित करने में कामयाब हो रही है। पूर्व विधायक रुबी प्रसाद ने कहा कि बभनी के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति देखने के बाद चेहरे पर चिंता की लकीरें बनीहोती थी और जहां शिक्षा के अभाव में लोग अंधविश्वास पर जोर दिया करते थे इसी बीच चुनावी माहौल के समय कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने को आगे बढ़ने के लिए लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर अपनी रोटी सेंकने में लगे होते थे। ग्रामीण आदिवासियों को शराब पीलाकर आपस में फूट डालकर बाजी मार जाते थे जब जीत हासिल करने के पश्चात् जनता के बीच कभी नजर नहीं आते थे आज वहीं हमारे क्षेत्र की महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से आपस में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और छोटे-छोटे सहयोग सेअपने परिवार का सहारा बन रही हैं। वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की खंड प्रबंधक मिथिलेश पांडेय ने बताया कि दूर्गा लक्ष्मी शक्ति शीला इस तरह के नाम देकर 700 समूह हैं जिनके तहत अचार पापड़ दाल बेसन हल्दी मसाले सिलाई मसरुम जैसे कई उत्पाद कराए जा रहे हैं जिससे बेंचकर दो वर्ष में क्षेत्र की लगभग साठ फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं और नई महिलाएं भी जुड़ रही हैं इतना ही नहीं बल्कि प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पचास फीसदी ड्रेसों की सिलाई इन्ही के द्वारा कराई गई थी हमारा विभाग पूरी तत्परता से लगा हुआ है।