बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)बभनी। असनहर में चल रहे रामलीला में शुक्रवार को लंका दहन के लीला का मंचन किया गया। हनुमान जी माता जानकी का खोज करते हुये लंका जाते हैं, रास्तेमें सुरसा से भेट व लंकिनी से भेंट होती है। हनुमानजी उनका वध करते हुये लंका में प्रवेश करते हैं। हनुमानजी की मुलाकात विभीषण से होती है। विभीषण ने हनुमानजी को बताते हैं कि रावण माता जानकी को अशोक वाटिका मे रखे हैं। हनुमानजी सीता जी से मिलते हैं और माता जी की आज्ञा लेकर अशोक वाटिका में फल खाने लगते हैं व राक्षसो को मारते हैं। रावण के वेटा अक्षय कुमार को मार देने के बाद रावण को अक्षय बध का सूचना राक्षसो द्वारा मिलते ही मेघनाथ जाता है और हनुमान जी को नाग फांस मे बांध कर रावण के दरबार में लाया जाता है।हनुमान व रावण से वार्तालाप करने के पश्चात रावण हनुमान जी को मारने के लिये राक्षसों को आदेश देता है उसी समय विभीषण जी आकर रोकते है तब रावणहनुमान जी के पूँछ में आग लगाने का आदेश दिया।लंका वासियों ने हनुमान जी के पूंछ में आग लगा दिया।आग लगते ही लंका को जला दिया और समुद्र में पूँछ बुझाकर सीता जी से मिलते हैं। हनुमानजी माता जानकी से निशानी लेकर प्रभु श्रीराम के पास आते हैं और पूरा समाचार सुनाते हैं। इसके बाद लंका पर चढ़ाई करते हैं। समुद्र के पास जाकर रास्ता मांगते हैं व विनय करते हैं रास्ता न मिलने पर राम चन्द्र जी क्रोधित हो कर लक्ष्मण से कहते है कि मेरा धनुष वाण लाओ तब समुन्द्र ने प्रभु से क्षमा मांगने लगे तब प्रभु ने नल – नील के सहयोग से समुद्र पर पुल का निर्माण कर सभी सेना सहित पार हो गये।