पत्रकार- संतोष नागर की कलम से
शाहगंज-सोनभद्र- पिछले कई माह से कोरोनावायरस के चलते आम जनमानस की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई है ऐसी परिस्थिति में जहां एक ओर लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं वही वर्तमान सरकार द्वारा डीजल, पेट्रोल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि किए जाने के कारण ट्रांसपोर्ट एवं सार्वजनिक सवारी वाहनों के किराया में बड़े पैमाने पर संचालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया वसूली की जा रही है। जिसके कारण आम जनता विवश होकर एक तरफ कोरोनावायरस के संक्रमण को झेल रही है दूसरी तरफ शासन की गलत नीतियों का दंश झेल रही है बताया जाता है कि मार्च माह के बाद डीजल पेट्रोल में वृद्धि
किए जाने के कारण एक और जहां किसानों को अपनी फसल की सिंचाई हेतु पंपिंग सेटो को चलाने के लिए महंगे दर पर डीजल खरीदना पड़ रहा है। इस ईंधन से संचालित होने वाले ट्रांसपोर्टरों के बड़े-बड़े वाहनों को भी गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है दूसरी तरफ पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि होने से इससे संचालित होने वाहनों के मालिकों पर आर्थिक बोझ है पड़ा है जिसके कारण आम जनमानस इन दिनों दोहरी मार झेलने पर विवश हैं। सरकार द्वारा जहां एक ओर कोरोनावायरस के चलते लाकडाउन करके सारे व्यवसाय को ठप करा दिया गया है वहीं दूसरी ओर डीजल,पेट्रोल महंगा करके महंगाई में वृद्धि करने का काम सरकार द्वारा किया गया है जिसकी सर्वत्र भर्तसना की जा रही है। ऐसी दशा में बुद्धिजीवियों ने मोदी सरकार के 2014 के चुनाव के दौरान किए गए वादें को याद दिलाना और उस पर अमल करने के लिए पुरजोर ध्यान आकृष्ट करने की मांग की है।
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