तुलसी का काव्य समन्वय का मंगल यज्ञ है* *तुलसी जयंती पर सोन संगम की ऑनलाइन विचारगोष्ठी तथा कवि समागम*

शक्तिनगर, सोनभद्र। शक्तिनगर की साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम के तत्वावधान में, महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जयंती की पूर्व संध्या पर, 26 जुलाई, रविवार को ऑनलाइन विचारगोष्ठी एवं कवि समागम का आयोजन किया गया। भूगोल की सीमाएँ भूलकर देश-विदेश के साहित्य प्रेमी इस आयोजन के साक्षी बने। कार्यक्रम में सोनभद्र एवं सिंगरौली के अतिरिक्त वाराणसी, रीवा, भोपाल, लखनऊ, मुम्बई एवं लंदन के हिन्दी सेवियों ने सहभागिता की। ऑनलाइन कार्यक्रम प्रातःकाल से देर रात्रि तक चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक चन्द्र ठाकुर, अपर महाप्रबन्धक, एनटीपीसी रामागुण्डम, तेलंगाना ने की, जबकि संचालन योगेन्द्र मिश्र, शक्तिनगर ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत विजय दुबे के ‘तुलसी मगन भयो, हरि गुन गाइके’ भजन से हुई। तत्पश्चात् विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने तुलसी के जीवन एवं शिक्षाओं का सार प्रस्तुत किया एवं उनके काव्य को समन्वय का मंगल यज्ञ बताया। प्रमोद कुमार पाण्डेय ने कहा कि तुलसी लोकवादी और जननायक कवि हैं। आदेश कुमार पाण्डेय ने तुलसी को भक्ति काव्य का अप्रतिम सूर्य निरूपित किया। आकाश प्रताप सिंह ने कहा कि तुलसी ने भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान में अद्वितीय भूमिका निभायी। पंकज श्रीवास्तव ने तुलसी के काव्य को प्रजाहितैषी बताया तो देवकान्त आनन्द ने रामचरित मानस की चर्चा करते हुए उसे हिन्दी काव्य परम्परा का उज्ज्वल नक्षत्र बताया। सुधा राव ने तुलसी को जन-जन के कवि के रूप में व्याख्यायित किया।
काव्य गोष्ठी में लंदन, इंग्लैण्ड से शामिल हुए कवि दीपक अरोरा ने ‘अजब बात है तेरी और मेरी बातों में’ कविता सुनाकर प्रेम के सौन्दर्य को अभिव्यक्ति दी तो रीवा, म0प्र0 के कवि श्याम द्विवेदी ने ‘मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ’ कविता से अन्तर्मन की गुत्थियों स्वर दिया। मुम्बई से कवयित्री अवनि श्रीवास्तव ने ‘अक्सर याद आता है बचपन का वो घर’ कविता से बचपन की सुमधुर स्मृतियों को याद किया। भोपाल से शामिल असर भोपाली की गजल ‘रुक गया वक्त या मैं ठहरा हूँ’ को श्रोताओं ने खूब सराहा। बरगवाँ, सिंगरौली के कवि अरिदलन पाण्डेय ने ‘क्या बताऊँ कि वो जालिम मुझे क्या लगता है’ गजल से प्रेम की चुनौतियों को व्यक्त किया। वाराणसी से मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने तुलसी पर लिखी रचना ‘गोस्वामी तुलसीदास हे महानायक’ सुनायी। वाराणसी से ही कवयित्री प्रेमशिला श्रीवास्तव ने ‘तुलसी तेरा रामचरित मानस अब मुश्किल में है’ कविता सुनाकर सामाजिक विद्रूपताओं पर चोट की। सीएमपीडीआई, सिंगरौली के उप महाप्रबन्धक उमाकान्त यादव ने रामभक्त हनुमान पर ‘हे बजरंग बली हितकारी’ कविता सुनायी। बलराम बेलवंशी ने ‘रामबोला से ऊपर उठकर तुम हुए महात्मा’ कविता से तुलसी को याद किया। राम खेलावन मिश्र ने तुलसी पर अपनी कविता ‘कवियों में अग्रणी अनूठा’ सुनायी। लखनऊ से महेश चन्द्र गुप्त ने तुलसी पर अपनी रचना ‘महिमा मण्डित साहित्य जगत’ का पाठ किया। योगेन्द्र मिश्र ने ‘कभी आओ तसल्ली से बैठो, तुम्हें दिल की न्यूज सुनानी है’ गजल से जीवन के विभिन्न पड़ावों को याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आलोक चन्द्र ठाकुर ने ‘आदर्शों की ऊँचाई का वह परिदृश्य अनोखा था’ शीर्षक कविता सुनाकर तुलसी को श्रद्धांजलि दी। संस्था के संरक्षक अशोक मिश्र ने संस्था के इस अभिनव प्रयास पर सबको शुभकामनाएँ दीं। संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष उमेश चन्द्र जायसवाल के आभार ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
उक्त अवसर पर दिवाकर पटेल, धर्मेन्द्र दत्त तिवारी, बहर बनारसी, रीता, सौम्या, समिधा सहित कई गणमान्य व्यक्ति न सिर्फ कार्यक्रम का आनन्द लेते रहे, अपितु रचनाकारों का निरंतर उत्साहवर्धन करते रहे।

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