स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
डॉ. हर्षवर्धन ने वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2020 जारी कीवर्ष 2018 की तुलना में 14% की वृद्धि के साथ 2019 में 24.04 लाख टीबी रोगी दर्ज किए गएटीबी रोगियों के लापता मामलों की संख्या घटकर 2.9 लाख रह गईसभी अधिसूचित टीबी रोगियों की एचआईवी जांच 67% (2018)से बढ़कर 81%(2019) हुईदिल्ली।केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से राज्य मंत्री (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2020 जारी की। उन्होंने एक संयुक्त निगरानी मिशन (जेएमएम)रिपोर्ट, निक्षय (एनआईकेएसएचएवाई) प्रणाली के तहत टीबी रोगियों के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पर एक मैनुअल,एक प्रशिक्षण मॉड्यूल और त्रैमासिक समाचार पत्र निक्षय पत्रिका भी जारी की।रिपोर्ट में सूचीबद्ध प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैंवर्ष 2019 में लगभग 24.04 लाख टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया है। वर्ष 2018 की तुलना में टीबी अधिसूचना में यह 14% की वृद्धि है।
निक्षय प्रणाली के माध्यम से टीबी रोगियों की ऑन-लाइन सूचना प्राप्त हुई।
2017 में 10 लाख से अधिक के मुकाबले लापता मामलों की संख्या घटकर 2.9 लाख हो गई।
6.78 लाख टीबी रोगियों के साथ निजी क्षेत्र की अधिसूचनाओं में 35% की वृद्धि हुई।
आण्विक निदान की आसान उपलब्धता के कारण 2018 में 6% की तुलना में 2019 में टीबी के निदान वाले बच्चों का अनुपात बढ़कर 8% हो गया।
सभी अधिसूचित टीबी रोगियों की एचआईवी जांच का प्रावधान 2018 में 67% से बढ़कर 2019 में 81% हो गया।
उपचार सेवाओं के विस्तार से अधिसूचित रोगियों की उपचार सफलता दर में 12% सुधार हुआ है। 2018 में 69% की तुलना में 2019 के लिए यह दर 81% है।
4.5 लाख से अधिक डॉट सेंटर देश भर के लगभग हर गाँव में उपचार प्रदान करते हैं।
निक्षय ने कार्यक्रम के चार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)योजनाओं के प्रावधान का भी विस्तार किया –
टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई)
उपचार समर्थकों को प्रोत्साहन
निजी प्रदाताओं के लिए प्रोत्साहन और,
अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में टीबी रोगियों को परिवहन सुविधा
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वार्षिक टीबी रिपोर्ट जारी करते हुएउन सभी लोगों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की जो इस कार्य में शामिल थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक देश में टीबी को खत्म करने के एसडीजी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए कार्यक्रम का नाम संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी)से बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी)कर दिया गया है।डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज है,देश में टीबी नियंत्रण के विभिन्न मापदंडों पर सराहनीय उपलब्धि रही है। इसमें मिली रैंकिंग निश्चित रूप से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अपने लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। टीबी के उन्मूलन के लिए प्रारंभिक सटीक निदान के बाद शीघ्र उपयुक्त उपचार महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी)ने पूरे देश में अपना कार्यक्रम चलाने के लिए प्रयोगशाला नेटवर्क के साथ-साथ नैदानिक सुविधाओं का विस्तार किया है। 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिएटीबी सेवाओं का विस्तार और एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से टीबी के अन्य कारकों को दूर करना जरूरी है। टीबी उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे ये सभी प्रयास महत्वपूर्ण परिणाम दे रहे हैं।डॉ. हर्षवर्धन ने देश में टीबी के रोगियों के साथ जुड़े कलंक के महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में यह सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि हमें एक राष्ट्र के रूप मेंटीबी और इससे जुड़े कलंक को मिटाने के लिए एक साथ आने की जरूरत है ताकि हर टीबी मरीज गरिमा के साथ और बिना भेदभाव के उपचार प्राप्त कर सके। समाज को मरीज की सहायता और आराम के लिए काम करना चाहिए।डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि निजी क्षेत्र अनिवार्य टीबी अधिसूचना और टीबी रोगियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराते हुए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में अहम योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सहयोगी और नियामक दोनों कदमों के साथदेश के निजी क्षेत्र में 2019 में 6,64,584 टीबी रोगियों को अधिसूचित किया गया जो वर्ष 2018 की तुलना में 22% की वृद्धि दर्शाता है।स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस वर्ष की मुख्य विशेषता यह है कि पहली बार सेंट्रल टीबी डिवीजन (सीटीडी)ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के टीबी उन्मूलन प्रयासों पर एक त्रैमासिक रैंकिंग जारी की है। उन्होंने बताया कि इसके मूल्यांकन मानदंडों में औषध प्रतिरोधी टीबी रोगियों का उपचार लिंकेज,टीबी रोगियों की एचआईवी जांच,निक्षय पोषण योजना (डीबीटी) के रूप में टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता,अधिसूचित टीबी रोगियों के बीच यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टबिलिटी परीक्षण (यूडीएसटी) कवरेज,टीबी निवारक चिकित्सा (टीपीटी) कवरेज और वित्तीय व्यय शामिल हैं।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्रीश्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि दूर-दराज के इलाके में टीबी रोगियों तक पहुंच बढ़ाने और बीमारी के दौरान टीबी रोगियों की मदद के लिए सरकार ने अपनी कार्यनीति के एक हिस्से के रूप में पहले से ही टीबी के लिए समुदाय आधारित प्रतिक्रिया को शामिल किया है। इसके लिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और जिला स्तर पर 700 से अधिक टीबी मंच स्थापित किए गए हैं। ये टीबी मंच टीबी की चुनौती से निपटने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय और समुदाय-आधारित प्रतिक्रिया प्रदान करेंगे।50 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े राज्यों की श्रेणी मेंगुजरात,आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में सम्मानित किया गया। 50 लाख से कम आबादी वाले छोटे राज्यों की श्रेणी मेंत्रिपुरा और नगालैंड को सम्मानित किया गया। केंद्र शासित प्रदेश की श्रेणी मेंदादरा एवं नगर हवेली, और दमन एवं दीव को सर्वश्रेष्ठ प्रदेश के रूप में चुना गया।इस अवसर पर सुश्री प्रीति सूदन,सचिव (एमएचडब्ल्यू), श्री राजेश बुशान,ओएसडी (एचएफडब्ल्यू),सुश्री आरती आहूजा,अपर सचिव (स्वास्थ्य),डॉ. धर्मेंद्र सिंह गंगवार, एएस एंड एफए,श्री राजीव गर्ग,निदेशक (डीजीएचएस)और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथाकेंद्रीय टीबी विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। रिपोर्ट विमोचन समारोह में सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों,साझेदार संगठनों,नागरिक समाज समूहों और टीबी उन्मूलन से जुड़े लोगों ने वर्चुअल भागीदारी की।