यूपी  में कोरोना वायरस संक्रमित  एक दिन में सबसे ज्यादा 604 नए मामले, 23 और लोगों की मौत

लखनऊ। उत्तरप्रदेश में गुरुवार को कोविड-19 संक्रमण के 604 नए मामले सामने आए। प्रदेश में एक दिन में आने वाले नए मामलों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।

राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 संक्रमित 23 और लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही प्रदेश में इस संक्रमण से मरने वालों की तादाद बढ़कर 488 तक पहुंच गई है।

इस अवधि में आगरा में चार, मेरठ तथा गाजियाबाद में तीन-तीन, लखनऊ, इटावा और कानपुर में दो-दो तथा फिरोजाबाद, वाराणसी, बुलंदशहर, प्रयागराज, गोंडा, बरेली और झांसी में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून के अंत तक कोरोना वायरस संक्रमण की जांच क्षमता बढ़ाकर 25 हजार प्रतिदिन तथा बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर डेढ़ लाख करने के गुरुवार को निर्देश दिए।

अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने टीम-11 की बैठक में जून 2020 के अंत तक कोविड अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को बढ़ाकर डेढ़ लाख किए जाने के निर्देश दिए हैं।अवस्थी ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 1,01,236 बिस्तर मौजूद हैं। प्रदेश में एल-1 के 403, एल-2 के 75 व एल-3 के 25 केंद्र बनाए गए हैं।

राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 604 नए मामले सामने आए हैं। यह प्रदेश में एक दिन में आए मामलों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले बुधवार को 583 मामले सामने आए थे।इसके पूर्व, अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के अब तक कुल 15,785 मामले सामने आए हैं जिनमें से 9,638 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। इस तरह प्रदेश में कोविड-19 के कुल 5,659 रोगी उपचाराधीन हैं।उन्होंने बताया कि बुधवार को 16,546 जांच की गई। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में अब नमूनों की क्रमरहित जांच शुरू की है। किसी के संक्रमित होने का पता चलने या जिसमें बीमारी के लक्षण होते हैं, उनके नमूनों की जांच होती है। स्वास्थ्यकर्मियों की भी जांच की जाती है। निषिद्ध क्षेत्रों की प्रक्रिया से संबंधित आशा कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न लोगों की भी जांच की जाती है।
अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि कुछ जांच इससे अलग भी शुरू की गई हैं। जिन 18 जिलों में बहुत ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार लौटे थे, वहां चार-चार गांव ऐसे चुने गए जिनमें 100 या उससे अधिक प्रवासी कामगार लौटे थे। उनके लौटने के 15 दिन बाद क्रमरहित जांच कराई गई थी। इसका उद्देश्य यह देखना था कि कहीं प्रवासी कामगारों के कारण गांव के अन्य लोगों को संक्रमण तो नहीं हो रहा है।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि हालांकि ऐसी जांच में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया। इसका मतलब है कि ग्राम निगरानी समितियों ने अच्छा काम किया और प्रवासी श्रमिक भी अपने उत्तरदायित्व का भलीभांति पालन कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कुछ अन्य क्रमरहित जांच भी शुरू की गई हैं। प्रदेश के सभी जनपदों के वृद्धाश्रमों, राजकीय बाल गृह और नारी निकेतनों से नमूने एकत्र किए गए हैं। इनमें कुछ जगहों पर संक्रमण मिला। कानपुर नगर के राजकीय बालगृह और नारी निकेतन में संक्रमण मिला। इसके बाद वहां रहने वाले और लोगों के नमूने लिए गए जिसमें कुल 33 लोग संक्रमित मिले।

प्रसाद ने बताया कि सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की भी जांच कराई गई है। इसमें उन लोगों को चुना गया, जिनका जनता से अधिक मिलना-जुलना होता है। इसमें पंजीकरण डेस्क पर बैठने वाला क्लर्क, सुरक्षा गार्ड और ओपीडी में बैठने वाले चिकित्सक शामिल हैं। क्रमरहित जांच पूरे प्रदेश में की गई है।

उन्होंने बताया कि इस तरह की जांच के अगले चरण में ऑटो चालकों, ट्रक चालकों, ढाबा कर्मियों को शामिल किया जाएगा। होम डिलीवरी से जुड़े लोगों, फल-सब्जी विक्रेता, दवाई की दुकानों में काम करने वाले लोगों आदि के नमूनों की भी चरणबद्ध रूप से क्रमरहित जांच कराई जा रही है। वेव दुनिया के सौजन्य से खबर।

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