निजीकरण श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ माकपा व झारखंड राज्य किसान सभा का प्रर्दशन।

कुमार सावन की रिपोर्ट:-लातेहार

केंद्र की भाजपा सरकार का नीतियां जनविरोधी।

केंद्र की भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ माकपा व झाराकिस का प्रर्दशन।

चंदवा/लातेहार:- माकपा व झारखंड राज्य किसान सभा ने संयुक्त रूप से अलौदिया में लॉकडाउन सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सार्वजनिक उपक्रम एयरपोर्ट, कोयला खदान, बिजली का निजीकरण बंद करो, श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन वापस लो से संबंधित पोस्टर लिए केंद्र की भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया, ललन राम के नेतृत्व में हुए प्रर्दशन में माकपा के जिला सचिव सुरेन्द्र सिंह, झारखंड राज्य किसान सभा जिला अध्यक्ष अयुब खान और विभूति ने कहा केंद्र कि भाजपा नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार अडानी,अंबानी सहित देश के पुंजिपती घरानों के हित में राष्ट्रीय संसाधनों और सार्वजनिक उपक्रमों एयरपोर्ट, कोयला खदान, बिजली का निजीकरण करने कि ओर अग्रसर है, कोरोना के आड़ में केन्द्र सरकार द्वारा इस तरह के कठोर फैसले तब लिए जा रहे हैं जब पुरा देश पुरी दुनिया कोविड -19 की महामारी का सामना कर रहा है, आर्थिक पैकेज से लोगों को सीधा राहत तो नहीं मिलेगी लेकिन इससे उन्हें कर्ज की ओर धकेल दिया जाएगा, मध्यम वर्गों की सहायता के लिए सरकार ने इस पैकेज में कोई प्रावधान नहीं किया है, वहीं दूसरी तरफ दमनकारी बेरहम श्रम कानून लाए जाने की कोशिश हो रही है, राज्य सरकारें ऐसा प्रयास कर श्रमिक वर्ग को गुलाम बनाने की साजिशें रच रही हैं, सबसे चिंतनीय मामले गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उड़ीसा, महाराष्ट्र, बिहार और पंचाब सरकार के हैं जहां लगभग सभी श्रम कानूनों को तीन साल के लिए निलंबित करने की कवायद जारी है, केंद्र सरकार का अनुसरण करते हुए अन्य राज्य सरकारें भी इस दिशा में कदम उठा रही हैं, श्रम कानूनों में बदलाव सरकार का तेजी से निजीकरण की ओर बढ़ने का संकेत है, दैनिक कार्य आठ घंटे से बढ़ाकर बारह घंटे कर दिया गया है, कॉरपोरेट और बिल्डर्स के पक्ष में उतर प्रदेश सरकार ने एक झटके में 38 कानुनों को अप्रभावी बनाने की कोशिश में लगी है, यह मानवाधिकारों के मुल सिद्धांतों के भी खिलाफ है, सार्वजनिक संम्पति को निजी हाथों में हस्तांतरित करने एवं श्रम कानूनों में बदलाव के फैसले का पार्टी कड़ा विरोध करती है, प्रर्दशन में काम के 12 घंटे के प्रस्ताव को वापस लेने, छंटनी, वेतन भुगतान मे कटौती और सेवा शर्तों मे बदलाव को रोकने, सभी प्रवासी मजदूरों का निःशुल्क घर वापसी, जरुरत मंदो को भोजन आश्रय रोजगार और स्वास्थ्य उपलब्ध करने,औद्योगिक तथा सड़क हादसों एवं घर लौटने के दौरान जान गवांने वाले शोक संतप्त परिवारों को प्रर्याप्त मुआवजा देने, अगले तीन महीने तक आयकर नहीं देने वाले सभी परिवारों के बैंक खाते में न्युनयम साढ़े सात हजार प्रतिमाह व किसानों को लोन नहीं उन्हें नगद भेजने आदि कि मांग की गई है।

Translate »