फर्जी हॉस्पिटलों व क्लीनिक की जांच में विलंब होने से इसकी उच्च स्तर पर शिकायत हो रही है, जिससे विभाग की छवि धूमिल हो रही है,सीएमओ

सोनभद्र (शिव प्रकाश पाण्डेय) आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश पाण्डेय ने बीते माह पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायती पत्र देकर मारकुण्डी में एक निजी फर्जी हास्पीटल संचालित होने की शिकायत किया था। जिसकी जांच प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाक्टर रामकुँँवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केकराही सोनभद्र को सौंपी गई थी। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी रामकुवँर ने दो माह बीत जाने के बाद भी उक्त शिकायती पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं कर सके। ऐसे में आम जनमानस के लोगों के दिलो दिमाग अंदर पहले से चर्चा का विषय बना हुआ है कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाक्टर रामकुँँवर अपने संरक्षण में हास्पीटल और क्लीनिक संचालित कराते रहते है, तभी तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आदेश भी उनके सामने बौना साबित हो रहा है।वही चर्चाओं की बात सही साबित होती दिखाई दे रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोनभद्र ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी केकराही को एक सप्ताह के अंदर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन उसका भी कोई असर नहीं पड़ा ऐसे में अगर इस तरह से प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की कार्यशैली रही तो वैसे भी आए दिन क्लीनिक और हॉस्पिटलों में मौतें होती रहती हैंअब मौतों की दुकान सजने लगेगी वहीं जनपद के शरह चट्टी चौराहों पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी केकराही चर्चा का विषय बन चूके है कि शिकायत होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फर्जी हास्पीटलो पर और मानक के विपरीत संचालित हो रहे हॉस्पिटलों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं आखिर उनकी क्या मजबूरी है। वही बातचीत के दौरान आज रविवार को नगर के चौराहे पर आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश पांडे ने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोनभद्र को मारकुण्डी में करगरा मोड से एक किमी के दूरी पर रोड के पश्चिम पटरी पर अनीता मौर्या नाम की महिला एक मकान में हॉस्पिटल चलाती है जो पूर्ण रूप से फर्जी है और मानक के विपरीत संचालित है जिसकी शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी से हमने किया था उन्होंने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी केकराही डॉक्टर रामकुँँवर को एक सप्ताह के अंदर जांच कर आख्या देने का निर्देश दिया था। वही ने बात चीत के दौरान कमलेश पांडेय का भी कहना रहा कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी केकराही डॉ रामकुँँवर ऐसे कई मामलों में शिकायत की गई है लेकिन वह अपना फायदा देखते हुए उन हॉस्पिटलों पर किसी प्रकार का लगाम लगाने में असमर्थ दिखाई दिए।

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