यदि बार-बार अनावश्यक डाक्टर के पास दौडने से बचना चाहती है तो अवश्य पढ़ें नुक़्शे

महिलाओ के लिए विशेष ……..

स्वास्थ्य डेस्क।यदि बार-बार अनावश्यक डाक्टर के पास दौडने से बचना चाहती है तो अवश्य पढ़ें नुक़्शे

यदि आप कमर दर्द ,रक्त विकार ,स्नायु विकार ,असमय बुढ़ापा ,झुर्रियो ,त्वचा के रूखापन ,मानसिक तनाव ,संतान हीनता ,गर्भाशय-योनी विकार ,मानसिक व्याधि ,भुत प्रेत भय वायव्य बाधा ,उत्साह हीनता ,ऊर्जा की कमी ,संवेदन हीनता ,ओज-तेज-प्रभावशालिता में कमी ,आदि का सामना कर रही है तो सीधा सा अर्थ है की आप में ऋणात्मक ऊर्जा अर्थात पृथ्वी की उर्जा अर्थात काली की उर्जा अर्थात मूलाधार की उर्जा की कमी हो रही है जो आप में नैसर्गिक रूप से पाया जाता है अधिक मात्रा में ,जो आपकी मूल प्रकृति है ,,ध्यान दे आप प्रकृति की नैसर्गिक ऋणात्मक प्रतिकृति है ,आपका शरीर ,मानसिक संरचना ,उर्जा प्रणाली इस प्रकार की बनी होती है की आपमें ऋणात्मक ऊर्जा [प्रकृति की ]अधिक होती है ,अधिक अवशोषित होती है फलतः आपको अधिक जरुरत भी होती है ,,ऐसा नैसर्गिक रूप से है इसे आप चाहकर भी नहीं बदल सकती ,|,भावनाओं की अधिकता ,कोमलता ,सौंदर्य प्रियता ,बच्चो के पोषण – उत्पत्ति की क्षमता ,मासिक अवस्था केवल आपमें ही होती है पुरुष में नहीं ,क्योकि पुरुष धनात्मक उर्जा का प्रतिनिधित्व करता है ,उसमे धनात्मक ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है आपमें ऋणात्मक की ,जिनका एक निश्चित संतुलन होता है ,संतुलन बिगड़ने से दोनों में समस्याए उत्पन्न होती है ,,आपके समस्त गुण और प्रतिक्रियाये -क्रियाए इन्ही पृथ्वी तत्वीय ऊर्जा से प्रभावित होती है ,,इनकी कमी से उपरोक्त समस्याओं के साथ ही आपकी सम्पूर्ण कार्यप्रणाली अव्यवस्थित हो जाती है ,जिससे कमशः समस्याए उत्पन्न होने लगती है ,,अतः आपको अपने मूल उर्जा को बनाए रखना चाहिए ,इससे आप उपरोक्त समस्याओं से बच सकती है ,कम तो यह अवश्य ही हो सकती है ,इससे आपको डाक्टरों का चक्कर भी कम लगाना पड़ेगा भविष्य में ,इसके लिए आप निम्न उपाय कर सकती है ,,

[१]अपने बाल बढाकर रखे ,उन्हें संवार कर रखे ,,बाल वातावरणीय तरंगों के ग्रहण करता है यह तरंग अवशोषित करते है जो संवेदन शीलता और दूसरों को परखने की क्षमता बढाने के साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि करते है ,सौंदर्य तो यह बढाते ही है।

[२]पावों में चांदी के पायल जरुर पहने [अन्य धातु के नहीं ],यह आपमें पृथ्वी से ऊर्जा ग्रहण की मात्रा बढाते है ,फलतः संतुलन बनता है।

[३]सुबह -शाम कच्ची मिटटी की जमीन पर कुछ देर नंगे पाँव अवश्य चले ,यह पृथ्वी से तरंगे ग्रहण करने के लिए उपयोगी है जो अनेक रोगों, मानसिक तनाव -विकार को दूर करता है ,सौंदर्य -तेज-उत्साह बढता है ,यदि यह संभव नहीं है टी काली मिटटी घर में लाकर उसे पावो से १० मिनट पानी डालकर आट की तरह गुथे ,यह भी संभव नहीं है तो उस मिटटी का पेस्ट बनाकर पावो में लगाकर सूखने दे ,फिर धो डाले।

[४]कमर में कला धागा पहने ,यह रक्षा के साथ उर्जा संतुलन में भी कारगर होता है ,कमर की समस्याओं में भी लाभप्रद है।

[५]पृथ्वी अथवा काली की उर्जा से परिपूर्ण रसायनों-वनस्पतियों का पेस्ट बनाकर मूलाधार पर गोल टीका लगाए ,,यह संभव नहीं है तो निम्न उपाय करे।

[६]काली माँ की पूजा करे ,साधना करे ,यह संभव न हो तो भोजपत्र पर बना अभिमंत्रित -प्राण प्रतिष्ठित काली यन्त्र चांदी के ताबीज में [यन्य धातु में नहीं ]गले में धारण करे जो किसी वास्तविक काली साधक द्वारा बनाया और अभिमंत्रित किया गया हो ..

उपरोक्त उपाय पर ,विवरण पर यदि ध्यान दे तो आपकी बहुत सी समस्याए कम हो जायेगी और आपके स्वस्थ रहने -निरोगी रहने की मात्रा बढ़ जायेगी ,उत्साह-जीवनी उर्जा बढ़ जाने से आप सुखी हो सकती है।

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