स्वास्थ्य डेस्क।विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर चौकाने वाले आंकड़े आये है।मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए चल रहे कार्यक्रमों के बावजूद लगभग हर दूसरे व्यक्ति को अंधविश्वास पर भरोसा है। एक सर्वे के मुताबिक, 44 फीसदी मानसिक रोगी इलाज की जगह तांत्रिक और नीम-हकीम का सहारा ले रहे हैं जबकि 26 फीसदी मानसिक रोगी ऐसे हैं जिन्हें अपने घर से 50 किलोमीटर की दूरी तक कोई चिकित्सीय सुविधा नहीं मिलती. विश्व मानसिक स्वास्थ्य कासमोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेस (सीआईएमबीएस) के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
10 हजार से अधिक लोगों पर अध्ययन
उत्तर भारत के दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के 10,233 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया था. इसके अनुसार, 43 फीसदी लोगों ने अपने परिवार या दोस्तों में किसी न किसी के मानसिक रोगी होने की बात स्वीकार की है. देश में केवल 49 प्रतिशत मरीजों को उनके घर के 20 किलोमीटर के दायरे में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाती हैं।
अध्ययन में शामिल 48 फीसदी लोगों ने माना कि उनका कोई परिजन या दोस्त नशे का आदी है लेकिन उनके घर के आसपास नशा मुक्ति केंद्र नहीं है.
सीआईएमबीएस के निदेशक डॉ. सुनील मित्तल ने बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में यह रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आज भी लोग मानसिक रोगों को लेकर तांत्रिकों एवं बाबाओं के पास जाते हैं. मानसिक बीमारियों को लेकर समाज में कायम गलत धारणाएं, इन बीमारियों को लेकर जागरुकता का अभाव एवं मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं का सुलभ नहीं हो पाना, इनके बढ़ने की प्रमुख वजह हैं।
ऑनलाइन परामर्श की मांग
इस अध्ययन में करीब 87 फीदी लोगों ने मोबाइल फोन, एप्लीकेशन या फिर टेली मेडिसिन सुविधा के जरिये मानसिक रोगों के उपचार की मांग की है. डॉक्टरों का कहना है कि ऑनलाइन परामर्श की सुविधा से मानसिक रोगों को लेकर बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।सौजन्य से पल पल इंडिया