प्रदीप कुमार द्विवेदी की ख़ास रिपोर्ट
जीवन मन्त्र। देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप कालरात्रि है.
* देवी कालरात्रि का शरीर रात्रि के अंधकार की तरह काला है, इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विद्युत माला है.
* इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तो दूसरे हाथ में लोहकांटा धारण किया हुआ है.
* शेष दो हाथ- वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है.
* इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है.
* कालरात्रि का वाहन गर्दभ है.
* जिन व्यक्तियों ने जाने/अनजाने… सहयोगियों/कर्मचारियों का अपमान किया हो उन्हें देवी कालरात्रि से सच्चे दिल से क्षमा मांगनी चाहिए और पूजा-अर्चना करके प्रायश्चित व्रत करना चाहिए, साथ ही भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए.
* देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना से शनि ग्रह की अनुकुलता प्राप्त होती है इसलिए मकर और कुंभ राशिवालों को देवी की आराधना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है.
* जिन श्रद्धालुओं की शनि की दशा-अन्तरदशा, साढ़े साती, ढइया चल रही हो, उन्हें भी देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
* भय और कष्ट से मुक्ति के लिए श्रद्धालुओं को देवी कालरात्रि की आराधना करनी चाहिए.
* जिन श्रद्धालुओं के सहयोगियों/कर्मचारियों से मतभेद हों वे संकल्प लेकर देवी कालरात्रि की आराधना करें, विवाद से राहत मिलेगी.
* देवी की इस मंत्र से पूजा-अर्चना करें… ओम देवी कालरात्र्यै नम:॥
– आज का राशिफल-
निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम अगले दिन सूर्योदय तक:
मिथुन, कर्क, तुला,
धनु, कुम्भ, मीन
*वृषभ राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
*यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारणशुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय मेंसतर्क रहें.
शनिवार का चौघडिय़ा
दिन का चौघडिय़ा रात्रि का चौघडिय़ा
पहला- काल पहला- लाभ
दूसरा- शुभ दूसरा- उद्वेग
तीसरा- रोग तीसरा- शुभ
चौथा- उद्वेग चौथा- अमृ
पांचवां- चर पांचवां- चर
छठा- लाभ छठा- रोग
सातवां- अमृत सातवां- काल
आठवां- काल आठवां- लाभ
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा– अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसारइनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है औरजीवन का अंत है!
पंचांग
शनिवार, 5 अक्टूबर 2019
सरस्वती पूजा
नवपत्रिका पूजा
नवपद ओली प्रारम्भ
शक सम्वत 1941 विकारी
विक्रम सम्वत 2076
काली सम्वत 5121
दिन काल 11:47:12
मास आश्विन
तिथि सप्तमी- 09:53:11 तक
नक्षत्र मूल- 13:19:13 तक
करण वणिज- 09:53:11 तक, विष्टि- 22:19:27 तक
पक्ष शुक्ल
योग शोभन- 23:22:53 तक
सूर्योदय 06:15:54
सूर्यास्त 18:03:07
चन्द्र राशि धनु
चन्द्रोदय 12:50:59
चन्द्रास्त 23:26:00
ऋतु शरद
दिशा शूल: पूर्व में
राहु काल वास: पूर्व में
नक्षत्र शूल: कोई नहीं
चन्द्र वास: पूर्व में।