लखनऊः 25.09.2019
उत्तर प्रदेश के उद्यान निदेशक एस0पी0 शर्मा ने एक विज्ञाप्ति के माध्यम से आज यहां बताया कि मधुमक्खी पालन अनुपूरक कृषि उद्यम के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मधुमक्खियों से शहद, पाॅलेन, प्रपोलिस, मोम, मौन, विष एवं राॅयल जैली आदि स्वास्थ्यकारक, गुणकारी पदार्थ प्राप्त होते हैं, जो बहुत लाभकारी है। इसके अतिरिक्त मधुमक्खियों से फसलों में पर-परागण से पौधों की जीविता एवं उत्पादन में वृद्धि होती है, वही लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
श्री शर्मा ने कृषकों/मधुमक्खी पालकों को सलाह दी है कि वे इसके माध्यम से अपने उद्यम को बढ़ा सकते हैं। माह सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में कृषि फसलों के साथ-साथ वन तुलसी, जंगली झांड़ियों आदि में फूल आने लगते हैं तथा लाही/सरसों के फूल निकलते ही मौनों को पराग एवं मकरन्द पर्याप्त मात्रा में मिलने लगता है, जिससे मौनवंशों में प्रजनन की गति बढ़ जाती है और मौनवंश शक्तिशाली हो जाते है तथा शहद उत्पादन में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि पालक उपयुक्त क्षेत्र का चयन कर जिन क्षेत्रों में 10 से 20 प्रतिशत फूल आने लगे वहां मौनवंशों का माइग्रेशन अवश्य करें आवश्यकतानुसार कृत्रिम भोजन भी निरंतर देते रहना चाहिए।
श्री शर्मा ने बताया कि मौनवंशों को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए मौनगृहों की समय-समय पर साफ-सफाई भी की जाये तथा खाली मौनगृहों को धूप में सुखाकर मौनवंशों को बदलते रहें। उन्होंने बताया कि माइट के प्रकोप से बचाने के लिए मौनगृह के तलपट की साफ-सफाई कर वाटमबोर्ड पर सल्फर की डस्टिंग की जाये। प्रभावित मौनवंशों को फारमिक एसिड 85 प्रतिशत की 3-5 मिली0 मात्रा प्रति मौनवंशों की दर से एक दिन के अन्तराल पर मौनगृह के तलपट में शाम के समय रखें, यह उपचार तीन बार किया जाये।
उद्यान निदेशक ने बताया कि मधुमक्खी पालन के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी जिला उद्यान कार्यालय अथवा लखनऊ स्थित उनके निदेशालय स्थित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।