रांची (कौशल आनंद)।राज्य के 1500 के करीब निजी प्रतिष्ठानों पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन मुकदमा दर्ज करेगा। यह मुकदमा पीएफ कानून के उल्लंघन के आरोप में दर्ज किया जाएगा। ऐसे निजी प्रतिष्ठानों को एपीएफ कार्यालय, भारत सरकार, रांची सर्किल (आयुक्त कार्यालय) ने चिह्नित कर डिफॉल्टर घोषित किया है। इन प्रतिष्ठानों पर कर्मचारियों को पीएफ का लाभ नहीं देने, पीएफ एकाउंट एवं केवाईसी नहीं कराने का आरोप है। इनको लगातार नोटिस जारी किए जाने के बाद भी कोई पहल नहीं होने पर एपीएफ कार्यालय ने यह कदम उठाने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि इंप्लाइज प्रोविडेंट फंड मिसलेनियस एक्ट के तहत ऐसे सभी निजी प्रतिष्ठान, जो अपने यहां 20 या 20 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी पर रखते हैं, उन्हें अपने कर्मचारियों को पीएफ देना अनिवार्य है।
आरोप सिद्ध होने पर नियोक्ता को 2 वर्ष तक की हो सकती है सजा
अगर ऐसे प्रतिष्ठानों पर एपीफ एक्ट के तहत आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो नियोक्ता पर छह माह से दो साल की सजा एवं भारी जुर्माना इंप्लाइज प्रोविडेंड फंड मिसलेनियस एक्ट के तहत लगाया जा सकता है। इपीएफ कार्यालय में विभिन्न माध्यमों से इसकी शिकायतें लगातार दर्ज हो रही थीं। जिसके बाद आयुक्तालय ने इसे सूचीबद्ध किया।
पहले चरण में 18 कंपनियों पर दर्ज हुआ केस
एपीएफ कार्यालय द्वारा संबंधित जिलों के सीजेएम के यहां क्रमवार मुकदमा दायर करना शुरू कर दिया गया है। विगत एक सप्ताह में मेसर्स जन सहयोग सेवा केंद्र, मेसर्स श्याम बेदी, मेसर्स भूपति स्टोन वर्क, मेसर्स अंकुश अग्रवाल, मेसर्स युवा जागृति केंद्र, मेसर्स एवरेस्ट हुमान, मेसर्स पड़ोसन, मेसर्स सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स, मेसर्स वीरेंद्र नाथ चौबे, मेसर्स दीपक अग्रवाल, मेसर्स कमांडो इंडस्ट्रीज सिक्यूरिटी फोर्स, मेसर्स बीकेबी ट्रांसपोर्ट, मेसर्स हाईटेक इंटरप्राइजेज, मेसर्स पावर लिंक सोल्यूशन, टेक्नो इंजीनियरिंग, मेसर्स जेके सर्विसेज तथा मेसर्स एसएस डिग्री कॉलेज आदि पर मुकदमा दायर हो चुका है।
कई बार नोटिस भेजा गया अब केस दर्ज किया जा रहा
रांची रीजनल कार्यालय के भविष्य निधि आयुक्त प्रशांत कुमार सहाय ने कहा कि लंबे समय से कई प्रतिष्ठानों के खिलाफ शिकायतें आ रही थीं। पीएफ कार्यालय ने डिफॉल्टरों की सूची तैयार की। शुरुआती चरण में 1500 से अधिक डिफॉल्टर की सूची तैयार हुई। कई बार नोटिस हो चुका है। अब मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।