उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ: 06 अगस्त, 2019

लखनऊ।मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने निराश्रित/बेसहारा गोवंश को इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सुपुर्द किये जाने हेतु ‘मा0 मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को मंजूरी प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश पशुधन संख्या के दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, जहां पर वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार 205.66 लाख गोवंश हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 10 से 12 लाख निराश्रित/बेसहारा गोवंश होने का अनुमान है। विभाग द्वारा निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश के संरक्षण एवं भरण-पोषण हेतु स्थायी/अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, वृहद् गोसंरक्षण केन्द्र/गोवंश वन्य विहार (बुन्देलखण्ड क्षेत्र में)/पशु आश्रय गृह स्थापित एवं संचालित कर उनका संरक्षण एवं भरण-पोषण किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 523 पंजीकृत गोशालाओं को राज्य सरकार द्वारा कुल संरक्षित गोवंश की संख्या के 70 प्रतिशत की संख्या को आधार मान कर 30 रुपये प्रति गोवंश 365 दिनों के लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। स्थायी/अस्थायी गो आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गोवंश की आश्रय स्थलों में अधिक संख्या होने के कारण उनके रख-रखाव में असुविधा हो रही है, जिसके दृष्टिगत वर्तमान में व भविष्य में जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित विभिन्न प्रकार के गोवंश आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित/बेसहारा गोवंश को स्थापित प्रक्रिया द्वारा इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सुपुर्द करते हुए जन सहभागिता बढ़ाए जाने की योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
इस योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रथम चरण में 01 लाख गोवंश को सुपुर्द किए जाने का प्रस्ताव है, जिस पर अनुमानित व्यय 1 अरब 9 करोड़ 50 लाख रुपये होगा।
जिलाधिकारी जनपद में ऐसे इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कराएंगे, जो निराश्रित गोवंश को पालने हेतु तैयार हैं। ऐसे इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को जिलाधिकारी द्वारा 30 रुपये प्रति गोवंश/प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण हेतु धनराशि सम्बन्धित कृषक/पशुपालक/ अन्य व्यक्ति के बैंक खाते में प्रतिमाह डी0बी0टी0 प्रक्रिया द्वारा हस्तान्तरित की जाएगी। निराश्रित/बेसहारा गोवंश (जिनमें ईयर टैग अनिवार्य होगा) को इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सरकार/जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित अस्थायी/स्थायी केन्द्रों के माध्यम से सुपुर्द किया जाएगा।
सरकार द्वारा संचालित अस्थायी/स्थायी केन्द्रों से सुपुर्द किए गये गोवंश से सम्बन्धित अभिलेखीकरण की कार्यवाही सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय समिति (यथा-ग्राम पंचायत, विकासखण्ड, तहसील, जनपद स्तर) के माध्यम से करायी जाएगी एवं स्थानीय समिति प्रगति से सम्बन्धित खण्ड विकास अधिकारी/उप-जिलाधिकारी को समय से अवगत कराएगी। चिन्हित कृषक/पशुपालक/अन्य व्यक्ति सुपुर्द किये गये गोवंश को किसी भी दशा में विक्रय नहीं करेगा न ही छुट्टा छोड़ेगा।
इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को निराश्रित/बेसहारा गोवंश के संरक्षण/भरण-पोषण हेतु धनराशि दिये जाने से सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी तथा निराश्रित/बेसहारा गोवंश की संख्या में कमी आएगी तथा कृषकों/पशुपालकों को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने में योजना सहायक होगी। निराश्रित/बेसहारा गोवंश की समस्या के निराकरण में यह योजना सहायक होगी। इससे जनसामान्य को रोजगार मिलने की भी सम्भावना है।
———–

उ0प्र0 इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019’ का प्रख्यापन

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019’ के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह नीति ‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017’ के पूरक के रूप में तैयार की गयी है। प्रदेश में पहली बार इलेक्ट्रिक वाहन के द्वारा विद्युत आधारित गतिशीलता पर ध्यान केन्द्रित करते हुए नीति बनायी गयी है। यह नीति गजट की तिथि से 05 वर्ष की अवधि तक अथवा उस अवधि तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि राज्य सरकार द्वारा इसे संशोधित नहीं किया जाता।
नवीन प्रोद्यौगिकी, उपभोक्ताओं की नयी अपेक्षाओं एवं व्यवसाय के नवीन स्वरूपों (माॅडल्स) के उदय के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग विश्वस्तर पर त्वरित गति से प्रगति कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहन के बाजार में विश्वस्तर पर विस्तार हो रहा है। जीवाश्म ईंधन की अत्यधिक मांग तथा इसकी उपलब्धता में तेजी से होती हुई कमी के कारण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर परिवहन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से विद्युत आधारित गतिशीलता (मोबिलिटी) आवश्यक हो गयी है। नवम्बर, 2016 में लागू किये गये पेरिस समझौते के अन्तर्गत भूमण्डलीय तापक्रम में वृद्धि (ग्लोबल वाॅर्मिंग) तथा जलवायु परिवर्तन के खतरे को नियंत्रित करने हेतु काॅर्बन डाई आॅक्साइड उत्सर्जन को सीमित करने के प्राविधान किये गये हैं। मोटर वाहन उद्योग के विद्युतीकरण का लक्ष्य परिवहन प्रणाली को डीकार्बाेनाइज करने के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
भारतीय आॅटो मोबाइल उद्योग विश्व में वृहद स्तर पर विकास कर रहे उद्योगों में से एक है तथा ऐसी आशा है कि इस सेक्टर के कारण विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को गति मिलेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी। वर्तमान में चूंकि आॅटो मोबाइल उद्योग अधिकांशतः प्रदूषण में वृद्धि करता है। प्रदूषण को कम करने तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने यह नीति प्रख्यापित की है।
———

मृदा में सूक्ष्म तत्वों की कमी को दूर करने एवं भूमि सुधार हेतु जिप्सम वितरण की योजना के
अन्तर्गत 75 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम वितरण करने का प्रस्ताव मंजूर

जिप्सम के प्रयोग से भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाने एवं फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में
वृद्धि के उद्देश्य से आगामी वर्षों हेतु स्थायी रूप से योजना के संचालन का भी निर्णय

मंत्रिपरिषद ने मृदा में सूक्ष्म तत्वों की कमी को दूर करने एवं भूमि सुधार हेतु जिप्सम वितरण की योजना के अन्तर्गत 75 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम वितरण किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। जिप्सम के प्रयोग से भूमि की भौतिक एवं रासायनिक एवं जैविक गुणों में सुधार तथा जिप्सम में विद्यमान सल्फर एवं कैल्शियम सूक्ष्म तत्व से भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाने एवं फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के उद्देश्य से आगामी वर्षों हेतु स्थायी रूप से योजना के संचालन का भी निर्णय लिया गया है।
केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, नेशनल मिशन आॅन आॅयल सीड्स एण्ड आॅयल पाम, पूर्वी उत्तर प्रदेश में हरित क्रान्ति के विस्तार की योजना एवं इण्टीग्रेटेड डेवलपमेण्ट प्रोग्राम फाॅर जिप्सम डिस्ट्रीब्यूशन (आर0के0वी0वाई से) के अन्तर्गत अनुमन्य 50 प्रतिशत केन्द्रांश अनुदान तथा राज्य सरकार से 25 प्रतिशत का अनुदान राज्यांश के रूप में उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है।
यह योजना प्रदेश के सभी जनपदों में संचालित है। योजना के अन्तर्गत ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के सिद्धान्त पर पंजीकृत लाभार्थियों को डी0बी0टी0 के माध्यम से अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में कृषकों को निम्नवत् अनुदान उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है:-
(धनराशि लाख रु0 में)
योजनाओं का नाम भौतिक लक्ष्य (मी0टन) कुल लागत रु0 5350 प्रति मी0टन केन्द्रांश (50 प्रतिशत देय) राज्यांश (25 प्रतिशत देय) लाभार्थी अंश (25 प्रतिशत देय)
अ- केन्द्रीय योजनाएं 8889 475.56 237.78 118.89 118.89
ब- इण्टीग्रेटेड डेवलेपमेण्ट प्रोग्राम फाॅर जिप्सम डिस्ट्रीब्यूशन (आर0के0वी0वाई से) 12348 660.62 330.31 165.16 165.16
महायोग 21237 1136.18 568.09 284.05 284.05

इस प्रकार योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य सेक्टर से प्रदेश के समस्त जनपदों में अनुदान पर जिप्सम वितरण पर कुल प्रस्तावित धनराशि 284.05 लाख रुपए व्यय होने का अनुमान है। आगामी वर्षों में भी कृषकों को उपरोक्तानुसार ही अनुदान दिया जाएगा।
———-

रिहन्द जलाशय पर 150 मेगावाॅट फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट
स्थापित कर, 150 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने रिहन्द जलाशय पर 150 मेगावाॅट फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट स्थापित कर, 150 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन एवं इस ऊर्जा को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 द्वारा 3.36 रुपये प्रति यूनिट (0.07 रुपये प्रति यूनिट ट्रेडिंग मार्जिन सहित) पर क्रय को मंजूरी प्रदान कर दी है। रिहन्द जलाशय पर 150 मेगावाॅट फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट हेतु ैम्ब्प् (सोलर इनर्जी कारपोरेशन आॅफ इण्डिया) द्वारा सम्पादित प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के अन्तर्गत पैकेज-ए में 50 मेगावाॅट क्षमता के लिए मेसर्स रिन्यू सोलर पावर प्राइवेट लि0 गुड़गांव, पैकेज-बी में 50 मेगावाॅट क्षमता हेतु मेसर्स शापूरजी पालोनजी इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल कम्पनी प्राइवेट लि0 मुम्बई तथा पैकेज-सी में 50 मेगावाॅट क्षमता के लिए मेसर्स रिन्यू सोलर पावर प्राइवेट गुड़गांव का चयन विकासकर्ता के रूप में किया गया है।
प्रदेश में विगत फरवरी, 2018 में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के दौरान सौर ऊर्जा के विकास हेतु ैम्ब्प् तथा न्च्श्रटछस् के मध्य हुए डव्न् के अन्तर्गत क्रियान्वयन हेतु कार्यवाही सम्पादित होगी। यह फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट निजी क्षेत्र में पी0पी0पी0 मोड में लगाये जाने हैं। इस प्रकार प्रदेश में प्राइवेट डेवेलपर्स द्वारा इन्वेस्टमेंट भी होगा तथा इन्वेस्टर्स के बीच एक पाॅजिटिव सिग्नल जाएगा।
यह फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट देश में अपनी तरह का प्रथम होने से छमू ज्मबीदवसवहल ैीवूबंेम होगी तथा जिसके कारण प्रदेश की तकनीकी क्षेत्र में साख बढ़ेगी तथा यह नितजीमत पदअमेजउमदज में सहायक होगा। नये सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना से प्रदेश में रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। 100 मेगावाॅट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट मेसर्स रिन्यू सोलर पावर प्राइवेट लि0, गुड़गांव तथा 50 मेगावाॅट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट मेसर्स शापूरजी पालोंजी इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी लि0, मुम्बई द्वारा स्थापित किये जाएंगे।
———

उ0प्र0 सूचना का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन की मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के नियम-4(2)(ख)(चार) में संशोधन, नियम-4(2)(ख)(पांच) के पश्चात नियम-4(2)(ख)(छः) जोड़ा जाना तथा नियमावली के साथ संलग्न प्रारूप-6 में संशोधन किये जाने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया है। नियमावली में संशोधन से नागरिकों को सूचना प्राप्त करने व लोक प्राधिकरणों में नियुक्त जन सूचना अधिकारियों को सूचना का अधिकार से सम्बन्धित मामलों के निस्तारण में सुगमता होगी।
ज्ञातव्य है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा-27 में दिये गये प्राविधान के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 दिनांक 03 दिसम्बर, 2015 को प्रख्यापित की गयी। उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के प्रख्यापन के उपरान्त प्रदेश भर के जन सूचना अधिकारीगण/प्रथम अपीलीय प्राधिकारीगण के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दिये गये अभिमत के आधार पर नियमावली में कतिपय संशोधन किये जाने की आवश्यकता महसूस की गयी। इसके दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
———

इलेक्ट्राॅनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ई0एम0सी0) की ग्रेटर नोएडा में
स्थापना हेतु उ0प्र0 शासन द्वारा राज्य बजट से यूपीडेस्को को अवमुक्त धनराशि
पर आरोपित/देय समस्त ब्याज माफ किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने कार्यालय महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी)-प्रथम, उत्तर प्रदेश द्वारा ऋण/निवेश पर 15 प्रतिशत ब्याज की दर से वर्ष 2015-16 में स्वीकृत 24.71 करोड़ रुपये एवं वित्तीय वर्ष 2016-17 मंे स्वीकृत 20 करोड़ रुपये पर कुल ब्याज 6,99,81,204 रुपये को माफ किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
यूपीडेस्को की भूमिका मात्र फेसिलिटेटर की रही है तथा ग्रेटर नोएडा में इलेक्ट्राॅनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर योजना में निगम को किसी भी प्रकार का वित्तीय लाभ निहित अथवा प्राप्त नहीं है। इसके दृष्टिगत मंत्रिपरिषद ने कार्य सम्पादन के मद में यूपीडेस्को द्वारा कुल 30.40 लाख रुपये की धनराशि के व्यय के समायोजन के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्राॅनिक्स नीति के अनुरूप उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्राॅनिक्स विनिर्माण उद्योगों को आकृष्ट करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्राॅनिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति-2014’ प्रख्यापित की गई, जिसमंे विभिन्न वित्तीय एवं गैर वित्तीय प्रोत्साहन प्राविधानित किये गये।
इलेक्ट्राॅनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) की स्थापना हेतु ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास क्षेत्र में यूपी डेवलपमेन्ट सिस्टम्स कारपोरेशन (यूपीडेस्को) को आईटी एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, उ0प्र0 शासन के पत्र दिनांक 29.10.2014 द्वारा अधिकृत किया गया तथा दिनांक 13.11.2014 द्वारा चीफ प्रमोटर नामित किया गया।
तत्क्रम में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा यूपीडेस्को के पक्ष में ईकोटेक-6 में 100 एकड़ तथा ईकोटेक-7 में 110 एकड़ अर्थात कुल 210 एकड़ भूमि आरक्षित की गयी।
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि की आवंटन धनराशि एवं छमाही किस्तों का भुगतान किये जाने के लिए उ0प्र0 शासन द्वारा यूपीडेस्को को वर्ष 2015-16 में 24.71 करोड़ रुपये एवं 2016-17 में 20 करोड़ रुपये, इस प्रकार कुल 44.71 करोड़ रुपये यूपीडेस्को को निवेश/ऋण मद में धनराशि स्वीकृत की गयी थी जिस पर 15 प्रतिशत ब्याज की देयता थी।
यूपीडेस्को द्वारा भूमि की किस्तों आदि के लिए 29,67,93,261 रुपये का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भुगतान किया गया। शासन के आदेश पर उक्त आवंटित भूमि का प्राधिकरण को समर्पण किया जा चुका है तथा प्राधिकरण द्वारा यूपीडेस्को को धनराशि रिफण्ड कर दी गई है। यूपीडेस्को द्वारा ऋण/निवेश की मूल धनराशि
44.71 करोड़ रुपये कोषागार में दिनांक 7.3.2017 को जमा की जा चुकी है।
यूपीडेस्को द्वारा उक्त योजनान्तर्गत किए गए प्रचार-प्रसार इत्यादि हेतु कुल 30.40 लाख रुपये के व्यय पश्चात अर्जित ब्याज 22,38,039 रुपये की धनराशि राजकोष में दिनांक 5.10.2017 को जमा कर दी गई है।
———

Translate »