धर्म डेस्क।12 जुलाई से अगले 4 महीनों तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। पुराणों के अनुसार इन 4 महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इसके बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी परभगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होती है। इस एकादशी को देवउठानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। चातुर्मास में साधु, संत एक स्थान पर रहकर भगवान की उपासना और स्वाध्याय करते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान की पूजा-पाठ, कथा, साधना, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। चातुर्मास में पूजा, पाठ, भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।
एकादशी का महत्व और कब से कब तक रहेंगे शुभ मुहूर्त
8 नवंबर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार चार्तुमास यानी 12 जुलाई से नवंबर तक इन 4 महीनों में देवता शयन करते हैं। इस कारण विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, कर्ण भेदन, गृहारम्भ जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
इन दिनों में गुरू और शुक्र तारा भी अस्त होता है। इस कारण इन दिनों में मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं।
देवशयनी एकादशी के बाद 8 नवम्बर को देव प्रबोधिनी एकादशी होगी और 18 नवम्बर से वैवाहिक मुहूर्त शुरू होंगे। देवशयनी एकादशी से पहले शादियों के मुहूर्त हैं।
भड़ली नवमीं 10 जुलाई को मांगलिक कार्यक्रमों के लिए अबूझ मुहूर्त है। भड़ली नवमी को दिन में भी फेरे लिए जा सकते हैं। हालांकि कुछ पचांगों में ग्रहों की स्थिति के कारण 12 जुलाई को भी वैवाहिक मुहूर्त हैं। उसके बाद चार माह तक शादियों की तैयारी होगी लेकिन मांगलिक कार्यक्रमों नहीं हो पाएंगे।
11 जुलाई तक सिर्फ चार मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पं मिश्रा के अनुसार विवाह के लिए 2, 8, 10 अौर 11 जुलाई को मुहूर्त हैं।
चार माह बाद 8 नवंबर को देव उठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होने पर 19, 20, 21, 22, 23, 28 अौर 30 नवंबर को विवाह के मुहूर्त रहेंगे।
दिसंबर में 11 तारीख को विवाह का मुहूर्त रहेगा।
14 दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा। मलमास खत्म होने के बाद अगले साल 15 जनवरी से फिर विवाह प्रारंभ होंगे।
देवशयनी एकादशी का महत्व
पं गणेश मिश्रा ने बताया देवशयनी एकादशी से भगवान चार माह के लिए विश्राम करते है। इस दौरान चार माह तक मांगलिक और वैवाहिक कार्यक्रम करना वर्जित रहता है। हालांकि मांगलिक कार्यों की तैयारी और खरीदारी इन दिनों में की जा सकती है।
स्कंद पुराण में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को साल भर के सभी एकादशियों का महत्व बताया है।
पं मिश्रा के अनुसार भगवान विष्णु के लिए इस तिथि पर व्रत किया जाता है। एकादशी पर विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।