सड़क मार्ग से कोयला परिवहन कम करने की दिशा में एनसीएल की बड़ी पहल

निगाही में वॉर्फवॉल का शुभारंभ, कम होगा निगाही से सड़क मार्ग से कोयला परिवहन

एनसीएल के बाहरी कोयला ग्राहक बिजली घरों को मिलेगा ज्यादा कोयला

सिगरौली।सड़क मार्ग से कोयला परिवहन को कम किए जाने की दिशा में नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की कोशिशों के तहत बुधवार को कंपनी की निगाही परियोजना में कोयला परिवहन की एमजीआर लाइन पर वॉर्फवॉल का शुभारंभ हुआ, जिसके जरिये एनटीपीसी विन्ध्याचल को रोजाना 03 से 04 रेलवे रेक (लगभग 9000 से 12000 टन) अतिरिक्त कोयले की सप्लाई की जाएगी। इस अतिरिक्त सप्लाई की शुरुआत होने से निगाही द्वारा सड़क मार्ग से किया जा रहा कोयला परिवहन लगभग आधा हो जाएगा।

इस वॉर्फवॉल की शुरुआत होने से एनसीएल के बाहरी कोयला ग्राहक बिजली घरों (अपकंट्री पावर कंन्जूमर्स) को अधिक कोयले की सप्लाई की जा सकेगी। फिलहाल एनटीपीसी विन्ध्याचल को निगाही और दुधीचुआ परियोजनाओं से कोयले की सप्लाई की जाती है। निगाही से सप्लाई बढ़ने से विन्ध्याचल बिजली घर को दुधीचुआ से कोयला कम देना होगा और कोयले की यह बची हुई मात्रा रेलवे के जरिये बाहरी बिजली ग्राहकों (अपकंट्री पावर कंन्जूमर्स) को सप्लाई की जा सकेगी, क्योंकि दुधीचुआ से रेलवे सप्लाई की व्यवस्था है।

कंपनी के सीएमडी श्री पी.के. सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि इस वॉर्फवॉल का शुभारंभ किया और इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एनसीएल की कोशिशों का एक अहम पड़ाव कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी की प्राथमिकता ईको-फ्रेंडली कोल ट्रांसपोर्टेशन है और इस दिशा में तेजी से प्रयास चल रहे हैं। ब्लॉक बी में 3.5 मिलियन टन की नई सीएचपी बनकर तैयार है और रेलवे लाइन से जुड़ते ही वहां भी कोयले के रोड ट्रांसपोर्टेशन पर काबू पा लिया जाएगा। जयंत में 15 मिलियन टन और दुधीचुआ में 10 मिलियन टन की नई सीएचपी बनाए जाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। कृष्णशिला की सीएचपी का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। बीना और ब्लॉक बी में क्रमश: 5.5 मिलियन टन और 4.5 मिलियन टन की नई सीएचपी प्रस्तावित है। इन सबके आने से कोयले के रोड ट्रांसपोर्टेशन पर दबाव काफी कम होगा। खड़िया में 06 मिलियन टन की सीएचपी शुरू होते ही लैंको को रोड से की जा रही कोयले की सप्लाई में प्रभावशाली तरीके से कमी आई है।

750 मीटर लंबे और 40 मीटर चौड़े निगाही वॉर्फवॉल के उद्घाटन समारोह में कंपनी के निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री गुणाधर पांडेय, निदेशक (तकनीकी/परियोजना एवं योजना) श्री पी.एम. प्रसाद, एनटीपीसी विन्ध्याचल के कार्यकारी निदेशक श्री ए.के. तिवारी, एनसीएल जेसीसी सदस्य श्री अशोक दूबे, सीएमओएआई के महासचिव श्री सर्वेश सिंह सहित एनसीएल की विभिन्न परियोजनाओं एवं मुख्यालय के महाप्रंबधकगण बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री गुणाधर पांडेय ने अपने उद्बोधन में निगाही वॉर्फवॉल के निर्माण की सोच की शुरुआत से इसके बनने तक की प्रक्रिया की व्यापक चर्चा करते हुए, एनसीएल की इस कोशिश में सहयोग के लिए एनटीपीसी प्रबंधन का विशेष आभार जताया। गौरतलब है कि निगाही वॉर्फवॉल के शुभारंभ के साथ एनसीएल ने पहली बार किसी एमजीआर लाइन पर वॉर्फवॉल बनाया है। ऐसा ही एक वॉर्फवॉल अमलोरी एमजीआर लाइन पर भी बन रहा है, जिससे एनटीपीसी रिहंद को अतिरिक्त कोयले की सप्लाई की जाएगी। एनसीएल ने निदेशक (तकनीकी/परियोजना एवं योजना) श्री पी.एम. प्रसाद सहित सभी अतिथियों ने इस शानदार पहल के लिए टीम निगाही को हार्दिक बधाई दी है।

निगाही के क्षेत्रीय महाप्रबंधक श्री एस.के. गोमास्ता ने कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया और परियोजना अधिकारी श्री हरीश दुहान ने कार्यक्रम में शरीक होने के लिए अतिथियों का आभार जताया।

गौरतलब है कि देश का सबसे बड़ा बिजली घर एनटीपीसी विन्ध्याचल कोयले के लिए पूरी तरह एनसीएल पर निर्भर है। पिछले वित्त वर्ष में एनसीएल ने इस बिजली घर को 24.67 मिलियन टन कोयले की सप्लाई की, जो एनसीएल और एनटीपीसी के बीच वित्त वर्ष के लिए हुए ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) से अधिक था। इस बिजली घर की कुल कोयला जरूरत का लगभग 68 प्रतिशत निगाही ने और शेष 32 प्रतिशत दुधीचुआ ने पूरा किया। निगाही ने अपने कुल कोयला उत्पादन का लगभग 92 प्रतिशत इस बिजली घर को दिया और बाकी सड़क मार्ग से सप्लाई की। अब इस वॉर्फवॉल के बनने से निगाही द्वारा सड़क मार्ग से किया जा रहा कोयला परिवहन लगभग आधा हो जाएगा।

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