छठें चरण का रण : लड़ाई भीषण

जातीय तिलिस्म बनाम मोदी !

चुनाव क्षेत्रे : हेमंत तिवारी

लखनऊ ।

हिंदी हृदय प्रदेश के सियासी समर में अब संघर्ष अवध और पूर्वांचल में पहुंच गया है । यह वह इलाका है जहां पांच साल पहले मोदी की प्रचंड लहर में भाजपा ने बाकी सभी दलों को हाशिये पर ला दिया था । यह एक तरह से क्षेत्रीय क्षत्रपों के लिए अस्तित्व का संकट काल था । लेकिन इस बार हालात पलट गए हैं और अभी तक हुए पांच चरणों के मुकाबले छठा और सातवां चरण भाजपा के लिए ज्यादा कठिनाई वाला दिख रहा है।

दरअसल इस इलाके में लड़ाई जातीय तिलिस्म बनाम राष्ट्रवाद और नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ठहर गई है । अगर जातीय गोलबंदी और 2014 में मिले मतों का अंक गणित देखा जाए तो वाराणसी को छोड़कर इन दो चरणों की बाकी 26 सीटों पर गठबंधन के सामने भारतीय जनता पार्टी मुश्किल में है ।

छठे चरण की 14 में 12 ऐसी सीटें हैं जहां 2014 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मिले वोट जोड़ दिए जाएं तो भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त वोट कम पड़ते हैं । जातीय गुणा गणित से इतर ताजा हालातों पर गौर करें तो मोदी के चेहरे के चलते लड़ाई कांटे की मानी जा रही है । पूर्वांचल में अगर मुस्लिम , यादव और दलित वर्ग को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोगों में नरेंद्र मोदी का असर पांच साल पहले के मुकाबले कम नहीं हुआ है । वास्तव में गैर यादव पिछड़ा वर्ग नरेंद्र मोदी के नाम पर इस चुनाव में एक बार फिर एकजुट दिख रहा है और अगर कुछ उम्मीदवारों के जातीय प्रभाव को छोड़ दिया जाए तो सवर्ण मतदाता भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में दिखाई पड़ रहा है । नरेंद्र मोदी के नाम पर पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में जातिगत और सामाजिक आधार पर पिछड़े वर्ग का एक बड़ा वोट बैंक एकजुट द है और यही वह वर्ग है जिसके बल पर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मारक गठबंधन को कड़ी चुनौती दी है । छठे चरण में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में धुंआधार चुनाव प्रचार किया है । अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह के साथ केशव प्रसाद मौर्य लगभग हर सीट पर पहुंचे हैं । गठबंधन ने मायावती और अखिलेश यादव के साथ कई क्षेत्रों में चौधरी अजित सिंह के साथ चुनावी सभाएं की है ।

: ★ आजमगढ़ में मुलायम सिंह की विरासत संभालने पहुंचे अखिलेश

छठे चरण में आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र भी है जहां 12 मई को मतदान होना है । 2014 में सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव मैनपुरी के साथ ही पूर्वांचल में पार्टी को मजबूती देने के लिए आजमगढ़ से भी चुनाव लड़े थे । मुलायम सिंह यादव को इस चुनाव में बड़ी मुश्किल पड़ी थी और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे उनके ही पुराने चेले रमाकांत यादव ने कांटे की टक्कर दी थी । इस बार मुलायम सिंह यादव के सुपुत्र और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनावी मैदान में हैं। अखिलेश यादव के साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती और राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया चौधरी अजीत सिंह आजमगढ़ पहुंचकर वोट मांग चुके हैं । इसके जवाब में भाजपा प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी के तमाम दिग्गज आजमगढ़ में चुनाव प्रचार कर चुके हैं । वैसे तो भाजपा को पता है कि अखिलेश यादव के आने से सिर्फ आजमगढ़ ही नहीं बल्कि लालगंज और घोसी लोकसभा सीटों पर भी गठबंधन को मजबूती मिली है । बावजूद इसके , भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में योजनाबद्ध तरीके से इस पूरे क्षेत्र में गहन प्रचार अभियान चलाया है। वैसे तो तमाम समीकरणों के चलते आजमगढ़ में अखिलेश यादव की एकतरफा जीत के आसार थे लेकिन चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में भाजपा के जोर लगाने से स्थितियों में थोड़ा फर्क आया है लेकिन यहां सपा सुप्रीमो के नजदीक पहुंचना भी मुश्किल है ।

★ श्रावस्ती में गठबंधन बनाम दद्दन

श्रावस्ती में पिछली बार मोदी लहर में भाजपा के दद्दन मिश्रा ने समाजवादी पार्टी के अतीक अहमद को हराया था > बसपा के लालजी वर्मा यहां तीसरे नंबर पर थे >दद्दन मिश्रा को 345964 कोट मिले थे जबकि सपा और बसपा को मिले वोटों को जोड़ दिया जाए तो संख्या 454890 होती है । गणितीय दृष्टि से यहां गठबंधन का पड़ा भारी दिखाई पड़ता है । भाजपा ने दद्दन मिश्रा को दोबारा मौका दिया है और उनका मुकाबला गठबंधन के राम शिरोमणि वर्मा से है । कांग्रेस के धीरेंद्र प्रताप सिंह से मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना थी लेकिन मतदान के एक हफ्ते पहले ही तय हो गया है कि वे लड़ाई में नहीं है । ऐसे में गठबंधन और भाजपा यहां मुकाबिल हैं । स्थानीय समीकरणों को देखते हुए गठबंधन का पलड़ा भारी कहा जा सकता है

★ डुमरियागंज : दिक्कत में पाल

डुमरियागंज में भाजपा के मौजूदा सांसद जगदंबिका पाल संकट में बताए जा रहे हैं । यहां उनका मुकाबला गठबंधन की ओर से बसपा प्रत्याशी आफताब आलम से है । पिछले चुनाव में जगदंबिका पाल को 298 845 वोट मिले थे लेकिन सपा और बसपा के साझा वोट उनसे कहीं ज्यादा थे । इस बार पाल से स्थानीय लोगों की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा है ।

★ सुल्तानपुर : मेनका गांधी का पलड़ा भारी, फिर भी है लड़ाई

सुल्तानपुर में पिछली बार भाजपा ने स्वर्गीय संजय गांधी के सुपुत्र वरुण गांधी को चुनाव मैदान में उतारा था । वरुण गांधी ने बसपा के पवन पांडे को हराया था जिन्हें 231 446 वोट मिले थे । सपा के शकील अहमद को 228 114 वोट मिले थे । सपा और बसपा के वोट मिला दिया जाए तो चार लाख 590होते हैं जबकि वरुण गांधी को 410488 वोटमिले थे । इस बार वरुण गांधी ने पीलीभीत से चुनाव लड़ा है जहां उनकी मां और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी फिलहाल सांसद है । दोनों की सीटें आपस में बदली गईं । मेनका की जगह वरुण गए और वरुण की जगह सुल्तानपुर से इस बार मेनका गांधी चुनाव लड़ रही हैं । उनके सामने बसपा के चंद्र भद्र सिंह और कांग्रेस के डॉक्टर संजय सिंह मैदान में हैं। इस चरण की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में सुल्तानपुर की गिनती हो रही है । समीकरणों को देखें तो सपा बसपा के समर्थक वोटों की संख्या भाजपा से कहीं ज्यादा है लेकिन मेनका गांधी का व्यक्तित्व और संजय गांधी के सुल्तानपुर से पुराने रिश्तो का फायदा यहां भाजपा को मिल रहा है । पिछले चुनाव में वरुण गांधी से हारने वाले पवन पांडे और जिले की राजनीति में बड़ा दखल रखने वाले बसपा सरकार में मंत्री रहे विनोद सिंह इस बार मेनका गांधी के साथ हैं । वैसे तो कांग्रेसी उम्मीदवार संजय सिंह तीसरे स्थान पर बताए जाते हैं लेकिन सजातीय वोटों में बड़ी सेंध लगाने के साथ ही प्रियंका गांधी के प्रचार अभियान में मुस्लिम वर्ग के काफी लोगों का सामने आना कांग्रेस के लिए सम्मान बचाने का काम कर सकता है । वहीं यह बदलाव गठबंधन प्रत्याशी के लिए घातक है । फिलहाल यहां मेनका गांधी मैदान में आगे दिख रही हैं ।

★ प्रतापगढ़ : लड़ाई के चार कोने

प्रतापगढ़ में पिछली बार अपना दल के टिकट से कुंवर हरिवंश सिंह चुनाव जीते थे लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद भाजपा ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया। यहां भाजपा के संगम लाल गुप्ता, राजा भैया की जनसत्ता पार्टी के अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी, गठबंधन की ओर से बसपा के अशोक त्रिपाठी और कांग्रेस की पूर्व सांसद रत्ना सिंह के बीच लड़ाई है। प्रतापगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , अमित शाह और , योगी आदित्यनाथ के साथ ही अखिलेश यादव और मायावती चुनाव प्रचार में आ चुके हैं । प्रियंका गांधी ने भी रत्ना सिंह के लिए रोड शो किया है । राजा भैया के लिए गोपाल जी का चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है लेकिन फिलहाल कहा नहीं जा सकता कि यहां किसका पलड़ा भारी है ।

★ जौनपुर में कांटे की टक्कर

जौनपुर में अलोकप्रिय होने के बावजूद भाजपा ने सांसद के पी सिंह को दोबारा टिकट देकर

रिस्क तो लिया है लेकिन नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी से सटा होने का एक स्वाभाविक फायदा यहां भाजपा प्रत्याशी को मिल रहा है । इसलिए जातीय गुणा गणित में पीछे होने के बावजूद वह गठबंधन के प्रत्याशी श्याम सिंह यादव को कांटे की टक्कर दे रहे हैं । यहां कांग्रेस में भी उम्मीदवार उतारा है लेकिन वे दूर दूर तक लड़ाई में नहीं है ।

★ लालगंज : गठबंधन बेहतर

लालगंज में भाजपा की मौजूदा सांसद नीलम सोनकर और महागठबंधन की संगीता के बीच सीधा मुकाबला है । 2014 में बसपा के डॉक्टर बलिराम और सपा के बेचई रोज को मिलाकर गठबंधन के वोटों की संख्या चार लाख 94901 होती है जबकि नीलम सोनकर 324016 वोट पाकर चुनाव जीती थी ।

★ मछलीशहर : सीधी टक्कर

मछली शहर के भाजपा सांसद फिलहाल समाजवादी पार्टी में पहुंच गए हैं और मिर्जापुर से गठबंधन के प्रत्याशी हैं । भाजपा ने उनका टिकट काटकर बसपा से आए बीपी सरोज को प्रत्याशी बनाया है जिनका सीधा मुकाबला गठबंधन के टी राम से है । मायावती सरकार के दौरान टी राम उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता रह चुके हैं । बसपा के टिकट पर 2012 का विधानसभा चुनाव भी जीते थे ।

★ फूलपुर : भाजपा की स्थिति बेहतर , लेकिन अभी है लड़ाई

फूलपुर वही सीट है जहां उपचुनाव में भाजपा को हार मिली थी । इस बार गठबंधन की ओर से सपा ने पंधारी यादव को उम्मीदवार बनाया है जिन का मुकाबला भाजपा की केसरी पटेल से है । यहां भाजपा को फिलहाल मजबूत बताया जा रहा है ।

★ इलाहाबाद : रीता बहुगुणा जोशी और गठबंधन में मुकाबला

इलाहाबाद के भाजपा सांसद श्यामाचरण गुप्ता इस बार समाजवादी पार्टी की ओर से बांदा लोकसभा क्षेत्र से गठबंधन के प्रत्याशी हैं । भाजपा ने योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री और यहां की महापौर रहीं रीता बहुगुणा जोशी को मैदान में उतारा है जिन का मुकाबला राजेंद्र सिंह पटेल से है । यहां रीता बहुगुणा जोशी की स्थिति बेहतर बताई जा रही है ।

★ अम्बेडकर नगर : रितेश कौर मुकुट बिहारी में कौन भारी ?

अंबेडकरनगर में गठबंधन की ओर से बसपा के रितेश पांडे और भाजपा की ओर से योगी सरकार के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बीच लड़ाई है । क्षेत्र में वर्मा जाति के मतों का वर्चस्व है लेकिन मुस्लिम, दलित और यादव जाति के मतों को एकजुट करने में लगे बसपा प्रत्याशी यहां कड़ी टक्कर दे रहे हैं । रितेश बसपा से विधायक है और उनके पिता राकेश पांडेय यहीं से बसपा के सांसद रहे हैं ।

★ संत कबीर नगर : त्रिकोणीय मुकाबला

भाजपा ने संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट जूता कांड के चलते काट दिया है । यहां भाजपा के उम्मीदवार प्रवीण निषाद और गठबंधन के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी के साथ ही पूर्व सांसद भालचंद्र यादव के कांग्रेस से आने के नाते लड़ाई त्रिकोणात्मक हो गई है , फिर भी बसपा को भारी बताया जा रहा है ।

★ बस्ती : हरीश के मुकाबले चौधरी , राजकिशोर भी कम नहीं

बस्ती में भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी को फिर से उम्मीदवार बनाया है जिन का मुकाबला गठबंधन के राम प्रसाद चौधरी से है । यहां कांग्रेस की ओर से अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राज किशोर सिंह के मैदान में आ जाने से गठबंधन प्रत्याशी का थोड़ा नुकसान बताया जा रहा है । लड़ाई नजदीकी होने के आसार है ।

★ भदोही : तीन के तीनों लड़ रहे मजबूत , बसपा को ज्यादा उम्मीद

भाजपा ने यहां के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को चुनाव लड़ने के लिए इस बार बलिया भेज दिया तो भाजपा ने बसपा के पूर्व विधायक रमेश बिंद को उम्मीदवार बनाया है । उनके मुकाबले गठबंधन की ओर से बसपा सरकार में मंत्री रहे रंगनाथ मिश्रा और कांग्रेस की ओर से आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव मैदान में हैं । भाजपा के प्रत्याशी को शुरू में कमजोर माना जा रहा था लेकिन स्थानीय विधायक विजय मिश्रा के समर्थन के चलते अब वह मुख्य लड़ाई में आ गए हैं । यहां बसपा और भाजपा की सीधी लड़ाई को रमाकांत त्रिकोणात्मक बनाने में सफल होते दिख रहे हैं ।

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