- 65 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद
- 13 वर्षीय नाबालिग लड़की को छह वर्ष पूर्व भगाने का मामला
- अर्थदंड की समूची धनराशि 65 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी
सोनभद्र। छह वर्ष पूर्व 13 वर्षीय नाबालिग लड़की को भगाने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो सोनभद्र की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष उर्फ बच्चा को 10 वर्ष की कैद एवं 65 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। वहीं अर्थदंड की समूची धनराशि 65 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी जो कक्षा 7 की छात्रा है। 27 मई 2016 को रात्रि में राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के निपराज गांव निवासी संतोष उर्फ बच्चा पुत्र भुनेश्वर उर्फ सुंदर भगा ले गया था। करीब एक सप्ताह बाद उसकी नानी के घर छोड़ दिया था। पुनः 13 जुलाई 2016 को भगा कर ले जा रहा था तो चोपन में जीआरपी पुलिस ने पकड़ लिया। पूछताछ के बाद उसे बुलाया गया और लड़की को सुपुर्द कर दिया गया। सूचना दे रहा हूं, आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने अपहरण एवं पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर संतोष उर्फ बच्चा के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष उर्फ बच्चा को 10 वर्ष की कैद एवं 65 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। वही अर्थदंड की समूची धनराशि 65 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने बहस की।