— मीडिया फोरम ऑफ इंडिया ( न्यास) ने आयोजित की आभासीय संगोष्ठी– वर्तमान पत्रकारिता पर हुई चर्चा।
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- कोरोनकाल की दूसरी जानलेवा लहर के दौरान जिस तरह की कुछ चैनल और प्रिंट मीडिया में नकारात्मक व हतोत्साहित करने वाली खबरें दिखी उससे हिंदी पत्रकारिता के भटकाव के कारण भी नजर आए। यह बातें जनपद के ख्याति प्राप्त पत्रकार एवं मीडिया फोरम ऑफ इंडिया न्यास के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने अपने सम्बोधन में पत्रकारिता दिवस 30 मई दिन रविवार को कही। सदारत करते हुए श्री द्विवेदी ने
अप्रक्षित पत्रकारों से कहा कि वे पत्रकारिता के मूल उद्देश्य सब जन हिताय सब जन सुखाय के रास्ते से कदापि न भटकें और न ही किसी दबाव में हिम्मत ही
हारें। उन्होंने कहा पत्रकारों का स्वर्णिम इतिहास स्वाधीनता आंदोलन में रहा है जान की बाजी लगाकर देश हित और जन हित की सही सच्ची सटीक खबरें देने वाले पत्रकार किसी प्रभाव में नहीं आते नए पत्रकारों को प्रशिक्षित करने की जरूरत पर बल देते हुए पत्रकारों के चाचा श्री द्विवेदी जी ने एक कार्यशाला आयोजित करने की जरूरत पर बल दिया। संगोष्ठी के आयोजक फोरम के जिलाध्यक्ष राजेश गोस्वामी एवं सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र ने सबसे पहले अपने कार्यालय में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर सभी पत्रकारों को पत्रकारिता दिवस पर बधाई देते हुए आज के दिन के महत्व पर प्रकाश डाला। ‘जन भावना’ पत्रिका के यूपी हेड एवं कवि श्री मिश्र ने कानपुर के वकील रहे जुगुल किशोर शुक्ल को नमन किया जिन्होंने 1826 में 30 मई को ही कलकत्ता में ‘उदन्त मार्तण्ड’ नामक हिंदी साप्ताहिक की स्थापना कर हिंदी पत्रकारिता की एक ऐसी मजबूत बुनियाद रखी थी जिस पर आज आलीशान महल दिख रहे हैं। भारतीय संस्कृत एवं सनातन पद्धति के प्रबल अनुयाई और सामाजिक जीवन में सक्रिय रहने वाले राकेश शरण मिश्र ने आह्वान किया कि आइए हम विश्व के कल्याण के लिए, प्राणियों में सदभावना के लिए और देश की प्रगति के लिए कलम उठाएं जिससे अमन चैन कायम हो। वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने कहा कि हम पत्रकार खेमों में बट गए है , कोई किसी के समर्थन में है तो कोई विरोध में है। किसी को गोदी मीडिया कहा जा रहा है तो किसी को खोदी मीडिया का तमगा चस्पा किया जा रहा है । हममें से कुछ लोग वाम पंथी तो कुछ दक्षिण पंथी तो कुछ मध्य मार्गी धारा में बह रहे है। समाचार को देखने लिखने के नजरिए में अपने अपने चश्मे के रंग के अनुसार दिखता है। सत्य की अलग अलग परिभाषा बनी हुई है। उनका सच अलग मेरा सच अलग। मीडिया फोरम आफ इंडिया न्यास के प्रदेश अध्यक्ष एवं दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ चंद्रमणि शुक्ला और इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय पार्षद राजेश द्विवेदी ‘ राज ‘
का मानना था कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को सत्तापक्ष बुरी तरह से प्रभावित करता रहता है। तरीके व ढंग अलग अलग काल परिस्थिति के मुताबिक बदलते रहते हैं। लेकिन सोच वही रहती है कि जैसा मैं चाहूं वैसी ख़बर रहनी चाहिए। संगोष्ठी में विनय सिंह चंदेल , प्रभात सिंह चंदेल, प्रमोद गुप्ता, ज्ञानदास कनौजिया, राजेश गोश्वामी, संतोष नागर, पंकज देव पांडेय, इमरान बक्शी समेत अन्य पत्रकार आभासीय संगोष्ठी से जुड़े रहे ।