बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)आनन-फानन में पूरा हो रहे अधूरे शौचालय।बभनी। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनवाए जा रहे शौचालयों का लाभ केवल ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी ही ले रहे हैं ग्रामीणों को ओडीएफमुक्त कर दिया गया लेकिन यदि मामले की हकीकत देखा जाए तो पंचायती चुनाव को लेकर ग्राम पंचायतों में आनन-फानन में शौचालयों का काम पूरा कराया जा रहा है और चाहे शौचालय बने या फिर नमूना खड़ा कर दिया जाय बस दीवार खड़ी दिखनी चाहिए विकास खंड में कुल 40 ग्राम पंचायत हैं जहां शौचालय को लेकर ब्लाक परिसर में फाईल लेकर घूमते नजर आते हैं और सेक्रेटरी केवल दस्तखत करने की होड़ में लगे हुए हैं बताते चलें कि विकास खंड के गांवों में बहुत कम ही ऐसे शौचालय मिलेनगे जो पूर्ण हों और उनका प्रयोग किए जा रहे हैं गांवों में सड़कों के किनारे वाले शौचालय रंगाई पुताई कर बेहद अच्छे मिलते हैं परंतु इनकी असलियत का पता तब चलता है जब अंदर बस्तियों में जाकर देखा जाए सरकारी अपनी स्वच्छ भारत मिशन के तहत महत्त्वाकांक्षी योजना को लागू कर हर गांव को एक नया आईना दिखाना चाहती है परंतु ग्राम प्रधान व अधिकारी केवल कागजी प्रक्रिया पूरी करने में लगे हुए हैं इसकी हकीकत का पता तब चलता है जब गांवों में जाकर देखा जाए नींव के नाम पर महज 5 इंच की नींव खोदी जाती है और गड्ढे खोदकर खुले में छोड़ दिए गए हैं अभी कितने शौचालयों का पलस्तर भी नहीं हुए हैं दरवाजे लगना तो दूर की बात है छत भी नहीं ढलवाए जा रहे हैं वह केवल लोगों को कपड़े सुखाने के काम आता है जब गांव वालों से पूछा जाता है तो उनका कहना होता है कि यहां इस बात की सुध लेने कोई आता ही नहीं है । कभी भाजपा के क्षेत्रीय कार्यकर्ता आते भी हैं तो केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं कि पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी की छवि धूमिल न होने पाए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सरकार के द्वारा तो योजना दी गई हैं परंतु आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बिचौलियों तक ही सिमट कर रह जाता है जिस बात को लेकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए गांवों के अंदर बस्तियों में बने जर्जर शौचालयों के जांच करसंबंधितों पर कार्रवाई की मांग की है।फोटो-: डुमरहर में बना शौचालय।