शाहगंज-सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे प्रमुख त्योहार छठ पूजा इस बार 20 नवंबर को पड़ रहा है। ऐसे में छठ पूजा का पर्व 18 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है क्योंकि यह त्योहार चार दिनों का होता है छठी मईया की पूजा का महापर्व दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है मान्यता है कि छठ माता सूर्य देवता की बहन हैं सूर्य देव की उपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और मन की सभी मुरादें पूरी करती हैं छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है और चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार का समापन उषा अर्घ्य के साथ होती है।
पहला दिन – नहाय खाय के साथ छठ पूजा
छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से शुरू हो जाती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कि इस बार आज बुधवार को है इस दिन घर में जो भी छठ का व्रत करने का संकल्प लेता है वह स्नान करके साफ और नए वस्त्र धारण करता है फिर व्रती शाकाहारी भोजन लेते हैं आम तौर पर इस दिन कद्दू की सब्जी बनाई जाती है।
दूसरा दिन खरना –
नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है इस दिन से सभी लोग उपवास करना शुरू करते हैं. इस बार खरना गुरुवार को है. इस दिन छठी माई के प्रसाद के लिए चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) बनाया जाता है साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है।
तीसरा दिन सांध्य अर्घ्य –
हिंदू धर्म में यह पहला ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं इस बार शाम का अर्घ्य 20 नवंबर शुक्रवार को है इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है तथा पूजा बेदी पर बैठकर रात बिताई जाती हैं और सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
चौथे दिन सूर्योदय अर्घ्य एवं पारन –
चौथे दिन सुबह के अर्घ्य के साथ छठ का समापन हो जाता है सप्तमी तिथि 21 नवम्बर शनिवार को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है और इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है।