एम सी एच विंग मिर्ज़ापुर में मरीजों के जीवन से हो रहा खिड़वाड, झोलाछाप डॉक्टर कर रहे उपचार

ओम प्रकाश मिश्रा

कमीशन खोरी व भ्रस्टाचार के भवर में डूबी स्वास्थ्य सुविधायें

मिर्ज़ापुर।
शासन के द्वारा जनहित में स्वास्थ व्यवस्था को नि:शुल्क गरीब आन जनता तक पहुचाने के लिए अनेक प्रयाश किये जा रहे है। अस्पतालों का कायाकल्प कर कीमती मशीने लगाई जा रही हे दवा की उपलब्धता पर निरंतर ध्यान दिया जा रहा है किंतु करोङो अरबो रुपए खर्च करने के बाद भी आम जनता परेशान हैं । गरीब इलाज़ के अभाव में दम तोड रहा हे जान बचाने की जद में आम आदमी की प्राइवेट हॉस्पिटल में सहारा लेना पड़ रहा हैं मिर्ज़ापुर जनपद में बने 100 बेड के माता एवं शिसु स्वास्थ्य विंग की लगभग 30 करोड की लागत से बने 100 बेड, करोड़ों रुपए की जांच की मशीनें सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई है
दवा के लिए लाखों रुपये का भुगतान भी किया जाता है।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी०पी०पी०)मॉडल पर संचालित इस स्वास्थ्य इकाई संचालन का जिम्मा हेरिटेज समूह को दिया गया है, किन्तु वर्तमान समय मे इस इकाई की व्वयस्था डावाडोल हो गया है, सुविधा के नाम पर सिर्फ ओर सिर्फ आलीशान इमारत दिखाई पड़ती है।
सूत्रों की माने तो करोड़ों रुपए की मशीने होने के बावजूद भी मरीजो को दो किलोमीटर दूर एक निजी लैब उषा लैब , स. र डाइग्नोस्टिक लैब में भेजा जाता है ।जिसमे स्टाफ नर्स विभा त्रिपाठी,सुरक्षा कर्मी सुरेंद्र सिंह ,संतोष मौर्य ,शिव संकर मौर्य वार्डबॉय एवं संतरा सिंह जो कि नर्सिंग की अधिकारी है। जिसमें उनका साथ अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर यूसुफ नसीम का पूरा सहयोग प्राप्त है। दवा तो दूर की है मामूली सिरिंज, रुई पट्टी तक बाहर के मेडिकल स्टोर जनता मेडिसिन सेंटर से मंगाई जाती है।जिसके एवज में मोटी रकम प्राप्त होता है जो सब कर्मचारियों में बराबर बराबर बन्दर बाट किया जाता है।
ताज्जुब की बात तो तब है कि सब कुछ जानते हुए भी महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक मौन है।
यहाँ के डॉक्टर एवं अस्पताल के मैनेजर अनिल राय जो कि अपने को हेरिटेज ग्रुप के मालिक का रिश्तेदार बताते है अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों एवं वार्डबॉय के द्वारा मिल कर मरीजो से रुपयों की डिमांड कराते है नही देने पर मरीज़ को परेशान करने की धमकी देते है ,एवं शहर के नामचीन अस्पताल के साथ मिलकर
मरीजों को रेफर करते है।उसके उन सब लोगो को मोटी रकम प्राप्त होता हैं।कई बार मरीज के तीमारदारों के द्वारा अस्पताल अधीक्षक से शिकायत की जाती है फिर भी कोई भी कार्यवाही आज तक इस बाबत नही हुई है ।ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस गोरखधंधे में सबकी संलिप्तता है।
कुछ मरीज़ के तीमारदारों ये शिक़ायत किया है कि यहां झोला छाप डॉक्टर के भरोसे से एम0 सी0 एच0 विंग चल रहा है
यहां पर कोई भी बच्चो का सही डॉक्टर नही है, जो
है ओ भी उस डॉक्टर की डिग्री भी संदेह के घेरे में है
कृप्या इस श्थिति को दिखते हुए जाँच करने की बहुत सख्त आवश्यकता है
यहां पर ज्यादा डॉक्टर की नियुक्ती को दिखा कर कम डॉक्टरों से काम लिया जा रहा है।
जिससे सरकार को आर्थिक छति पहुँचाई जा रही है ।और सरकार की छवि धूमिल हो रहा है
इनकी इस कार्य शैली से अस्पताल की व्यवस्था खराब हो रही है ये सब जानते हुए भी महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक मौन है।
अब तो मरीज़ यहाँ पर जाने से कतराने लगे है।इस विषय को संज्ञान में लेते हुये सरकार को जांच करने का अतिशिघ्र आदेश देना चाहिए।

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