वाराणसी से पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। साल 1932 में भारत में आये भीषण के लिए सावन माह के प्रथम सोमवार को काशी के निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने यादव बंधुओं के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया था। इसके बाद देश से आकाल समाप्त हुआ। इसी परम्परा का निर्वहन हर वर्ष चंद्रवंशी गोप समिति द्वारा किया जाता है। डमरू दल के साथ हज़ारों की संख्या में यादव बंधू बाबा का जलाभिषेक करते हैं पर इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन में सिर्फ 11 यादव बंधुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया और सम्पूर्ण विश्व से कोरोना के खात्मे की प्रार्थना की।
माध्यम धवनि का डमरू नाद और और एक व्यक्ति द्वारा लगाया जा रहा हर-हर महादेव का जयघोष कोरोना काल में पड़ने वाले पवित्र माह सावन के प्रथम सोमवार के सन्नाटे को चीर रहा था। सुबह से ही हज़ारों भक्तों की लाइन बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आतुर नहीं दिखी पर भोले के भक्त जल चढाने के लिए बाबा दरबार पहुँच रहे हैं।
इसी क्रम में चंद्रवंशी गोप समिति के सदस्य भी साल 1932 से चली आ रही परम्परा का निर्वाह करने के लिए बाबा दरबार पहुंचे थे। जिला प्रशासन द्वारा बानी सहमति के बाद पांच यादव बंधू चद्रवंशी गोप समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव के नेतृत्व में बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया और पूरे विश्व से कोरोना का प्रकोप ख़त्म करने की बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना की।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal