संघर्ष का दूसरा नाम था यदुनाथ सिंह पटेल”

मिर्जापुर।स्थानीय चुनार, नियामतपुर ग्राम के मूलनिवासी पूर्व विधायक यदुनाथ सिंह पटेल जी ने अंतिम सांस ली। यदुनाथ सिंह पटेल जी जीवनपर्यंत संघर्षों के रास्ते पर चलकर जनता की सेवा किये और जिले से लेकर प्रदेश तक अपने कीर्तिमान स्थापित किये, अपने सम्पूर्ण जीवन मे उन्होंने सादगी और ईमानदारी को ही अपना पथप्रदर्शक माना। छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी विचार के यदुनाथ सिंह पटेल जी गरीबी और अन्याय को करीब से देखा और उसके खिलाफ संघर्ष करना प्रारंभ किया। BHU से मेकेनिकल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते वक्त की इन्होंने छात्र राजनीति में हिस्सा लेना प्रारंभ किया और विज्ञान वर्ग के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। 1977 में मुग़लसराय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इन्होंने तब के चर्चित नेता व विधायक जंगी यादव को कड़ा मुकाबला दिया और चुनाव हारे।
जंगी यादव जी ने किसानों के मसीहा श्रधेय चौधरी चरण सिंह जी से यदुनाथ सिंह पटेल जी की मुलाकात करवाई और वर्ष 1980 में चुनार से ऐतिहासिक जीत दर्ज करके अपना नाम संघर्ष और गरीबो के मसीहा के रूप में दर्ज किया। 1980 और 1985 लोकदल तथा 1989 और 1991जनतादल से लगातार चार बार विधायक रहे और जीवनपर्यंत चौधरी परिवार के करीबियों में रहे। 1991 के नामांकन जुलूस को “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड” में दर्ज करवाया। अपने राजनैतिक जीवन के तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी यदुनाथ सिंह पटेल जी (जनतादल अ) के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वर्ष 1996 में जनतादल सेकुलर से चुनाव लड़े और पूर्वप्रधानमंत्री देवगौड़ा की ऐतिहासिक रैली करवा कर विरोधियो में अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवाया। 2002 में भाजपा + जनतादल यू से राजगढ़ से चुनाव लड़े और हारे, फिर 2007 में राष्ट्रीय लोकदल से चुनार से चुनाव लड़े और वही चुनाव श्री यदुनाथ सिंह पटेल जी के जीवन का अंतिम चुनाव रहा। लगातार गिरते स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से अलग होते चले गए, लेकिन आज भी जब यदुनाथ सिंह पटेल जी का नाम जहाँ कहि भी आता है, लोग बड़े अदब और सम्मान के साथ लेते है। श्री यदुनाथ सिंह पटेल जी अक्सर कहा करते थे- “तू जमाना बदल”
जीवनभर किसान, गरीब, असहाय की मदद और सेवा करते हुए आज रात्रि 9 बजे अंतिम सांस लिए। श्री यदुनाथ सिंह पटेल जी की 4 पुत्रिया और एक पुत्र धनंजय सिंह है। इनके दूसरे दामाद श्री विनोद कटियार जी भोगनीपुर, कानपुर देहात से विधायक है।
मुझे सौभाग्य है कि मैं भी इसी वटवृक्ष का एक हिस्सा हु…
कल 1 जून को दिनभर क्षेत्रीय जनता अपने लोकप्रिय जनसेवक के अंतिम दर्शन करेगी तत्पश्चात शाम 4 बजे स्थानीय रायपुरिया घाट चुनार, मिर्ज़ापुर पर अंतिम संस्कार होगा।

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