मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिये चौथे दिन सुबह से ही भक्तो का जनसैलाब उमड़ा हुआ था।

मिर्ज़ापुर।

मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिये सुबह से ही भक्तो का जनसैलाब उमड़ा हुआ था।आज शारदीय नवरात्रि के 4 दिन मां विंध्यवासिनी के धाम में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी है यहां के लोगों का मानना है कि अभी तक पहले दिन मैं इतनी भीड़ नहीं हुई थी और इसी बीच बिजली विभाग के लापरवाही से मां विंध्यवासिनी धाम में बिजली विभाग की व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण पिछले 1 घंटे के ज्यादा से बिजली की कटौती की गई है जिससे कि काफी भक्तों को समस्या हो रही है लेकिन बिजली विभाग उदासीन है।

बताते चले कि

देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक विंध्याचल धाम लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। यह पीठ देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। विंध्य पर्वत पर विराजमान देवी मां अपने भक्तों के कष्ट दूर करती हैं। मान्यता है कि यहां पर देवी का वास अनंतकाल से है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी लिखा है कि जहाँ पर गंगा विंध्य पर्वत को पहली बार स्पर्श करेंगी वही माँ विंध्यवासिनी का धाम है। विंध्याचल परिक्षेत्र तीन किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। जिसे त्रिकोण कहते हैं। यह त्रिकोण तीन देवी मंदिरों से मिलकर बनता है। इसके केन्द्र में मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। इनके पास ही दूसरी पहाड़ी पर मां अष्टभुजा, व महाकाली निवास करती हैं।

विंध्याचल ही एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है, जहां देवी के संपूर्ण विग्रह के दर्शन होते है। त्रिकोण यंत्र पर स्थित यह देवी लोकहित के लिए महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती का रूप धारण करती हैं। विंध्यवासिनी माता विंध्य पर्वत पर स्थित मधु तथा कैटभ नामक असुरों का बध करने वाली अधिष्ठात्री देवी हैं। यहां पर चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्र में देश भर से लाखों श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते है। इसकी पुष्टि श्री दुर्गा सप्तशती से भी होती है। जिसमें लिखा है कि यहां पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी भगवती की उपासना करते के लिए आते हैं। माँ विंध्यवासनी इन्हें मनोवांक्षित फल देती है।

यह तंत्र साधना के लिए भी प्रमुख स्थल है। जहाँ पर दूर-दूर से तंत्र के साधक आते हैं। नवरात्र के समय यह भी मान्यता है कि इन नौ दिनों में माँ मंदिर के शीर्ष पर लगे ध्वज में विराजमान रहती हैं। इसलिए नवरात्र के नौ दिन भक्त ध्वज की भी पूजा करते हैं ।

कैसे पहुंचें भक्त

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