वॉशिंगटन। अमेरिका ने कहा है कि वह ईरान पर प्रतिबंध के मामले में अपने सच्चे दोस्त भारत के सहयोग से काफी प्रसन्न है। व्हाइट हाउस की तरफ से बुधवार को जारी बयान में कहा गया कि कई मामलों में राय न मिलने के बावजूद चीन ने भी ईरान के बजाय अमेरिका को अपने व्यापारिक सहयोगी के रूप में चुना जिससे हमें संतुष्टि हुई।
परमाणु कार्यक्रम की वजह से ईरान पर प्रतिबंध लगा
दरअसल, अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में ईरान पर परमाणु कार्यक्रम की जानकारी छिपाने का आरोप लगाकर उस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बाद लगभग सभी देशों ने ईरान के साथ व्यापार बंद कर दिया। भारत समेत कुछ देशों को व्यापार खत्म करने के लिए 6 महीने की छूट दी गई थी, ताकि वे लेन-देन से जुड़े समझौते जल्द खत्म कर सकें।
व्हाइट हाउस के एक अफसर ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि ईरान ने जुलाई के महीने में 1 लाख बैरल प्रति दिन तेल निर्यात किया। जबकि कुछ महीनों पहले तक वह हर दिन 7.81 लाख बैर प्रतिदिन तेल निर्यात करता था।
हम भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने को तैयार: व्हाइट हाउस अधिकारी
भारत और ईरान के बीच रुपए में पेमेंट पर सहमति बनने को लेकर किए गए सवाल पर अफसर ने कहा- “अमेरिका लगातार भारत के सहयोग का प्रशंसक रहा है। हम उसकी ऊर्जा जरूरतों के बारे में भी जानते हैं। इसलिए खुद एक ऊर्जा निर्यातक के तौर पर हमें भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद कर के काफी खुशी होगी।”
‘ईरान के पास समझौते के काफी कम मौके’
ट्रम्प प्रशासन के ही एक और अफसर ने इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों की तारीफ की और कहा कि ईरान के पास फिर से दूसरे देशों के साथ व्यापार साझेदारी शुरू करने के काफी कम मौके बचे हैं। अफसर ने कहा कि दुनियाभर में मौजूद अमेरिकी अधिकारी यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि सभी देश और कंपनियां प्रतिबंधों का उल्लंघन न करें।
ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ पर भी लगे प्रतिबंध
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ पर प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रेजरी मिनिस्टर स्टीव न्यूकिन ने कहा कि जरीफ ईरान के सुप्रीम लीडर के एजेंडे को लागू करने में जुटे हैं। वे ईरानी सत्ता के मुख्य प्रवक्ता हैं। अमेरिका साफ कर देना चाहता है कि ईरानी शासन का बर्ताव पूरी तरह अस्वीकार्य है।