मुंबई, 8 जुलाई।नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी को वॉकहार्ट समूह की ओर से शाम आयोजित एक समारोह में वॉकहार्ट लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया। वॉकहार्ट समूह की तरफ से श्री कैलाश सत्यार्थी और उनकी पत्नी सुमेधा कैलाश के सम्मान में राष्ट्रीय सिनेमा संग्रहालय में एक समारोह का आयोजन किया गया था, जहाँ उनकी डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘द प्राइस ऑफ फ्री’ की स्क्रीनिंग हुई। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों की कई दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की।
भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अधिकारों के लिए किये गए कार्य के लिए श्री सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। इस मौके पर श्री सत्यार्थी ने कहा, “कई हमलों और बर्बरता के बावजूद हर बच्चे को मुक्त कराने की अपनी प्रतिबद्धता से न ही हम कभी पीछे हटे और न ही कभी समझौता किया।
यह फिल्म करुणा, आशा और साहस को प्रदर्शित करती है और साथ ही जिम्मेदार उपभोक्तावाद के तहत बाल-श्रम-मुक्त उत्पादन और आपूर्ति के लिए आवाज़ बुलंद करती है । साथ ही ये फिल्म कानून बनाने उसे लागू करने वाली संस्थाओं को बच्चों के लिए किये जाने वाले कार्यों के प्रति शीघ्रता करने के लिए प्रेरित करती है।
ऑस्कर विजेता फिल्म निर्माता डेविस गुगेनहेम के जीवन और काम पर बनी फ्री ऑफ द प्राइस नाम के इस वृत्तचित्र को 2018 में साल्ट लेक सिटी में हुए सनडांस फिल्म समारोह में ग्रैंड जूरी का पुरस्कार मिला था। You tube पर मौजूद इस डाक्यूमेंट्री को को इसी साल मोंटे कार्लो फिल्म फेस्टिवल पीसजम अवॉर्ड भी मिला था ।
इस मौके पर वॉकहार्ट समूह के अध्यक्ष और संस्थापक डॉ. हबिल खोराकीवाला ने बाल दासता को समाप्त करने और दुनिया भर में लाखों बच्चों के उनका अधिकार दिलाने के लिए आजीवन प्रतिबद्ध कैलाश सत्यार्थी को वॉकहार्ट लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के साथ सम्मानित किया।
समारोह में डॉ.हबिल खोरकीवाला के सुपुत्र डॉ. हुजैफा खोराकीवाला (जिन्हें डॉ. हूज़ के नाम से जाना जाता है ) ने कहा कि आज श्रीमती और श्री कैलाश सत्यार्थी जी को इस पुरस्कार से सम्मानित करते वक्त हमें गर्व की अनुभूति हो रही है। श्री सत्यार्थी हम सबके लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। हमारा समूह शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवा और हुनरमंदों के लिए काम करता है और हमें पूरी उम्मीद है कि हम असहाय लोगों के लिए और अधिक कार्य करेंगे।