सोनभद्र। भगवान श्रीविष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था जिस पर आज जिले में विभिन्न संगठनों द्वारा परशुराम की जयन्ती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। सोनभद्र बार एसोसिएसशन के सभागार में केन्द्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा विधि विधान से पूजा पाठ करके भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई। इस दौरान बतौर यजमान केन्द्रीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने भगवान परशुराम का विधिपूर्वक पूजन अर्चन किया।
इस मौके पर भगवान परशुराम की अवतरण और अक्षय तृतीया के महत्त्व पर विशद चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम के जन्मोत्सव में परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य है। सौभाग्यवती स्त्रियाँ व क्वारी कन्याएँ गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बाँटती हैं। गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं। इसी दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था।
सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष बाण श्री राम को समर्पित कर संन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए। अपने साथ एक फरसा रखते थे, तभी उनका नाम परशुराम पड़ा।
वक्ताओं ने कहा कि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है। अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घडे, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गरमी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी है। इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।
ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।
इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र नाथ दीक्षित ने कहा कि भगवान परशुराम ब्राह्मण समाज के आराध्य देव है लेकिन यह कार्यक्रम विशेष ब्राह्मणों के लिए ही नही था बल्कि समाज के सभी वर्गो में सुधार लाना ही मुख्य उद्देश्य है।
केन्द्रीय ब्राह्मण के जिला महामंत्री अमित शुक्ला ने कहा कि आज भगवान परशुराम की जयंती पूजा पाठ करके बड़े ही धूमधाम से मनाया गया है और ब्राह्मण समाज को एकत्रित करना ही इसका एकत्रित करना है।
वही जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने कहा कि
केन्द्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा सोनभद्र बार एसोसिएसशन के सभागार में इकट्ठा होकर परशुराम जयन्ती मनाई जाएगी एवं पूजन अर्चन कर ब्राह्मण कल्याण हेतु मनोकामना किया गया। इसके साथ ही बैठक में आये सभी लोगो ने कहा गया कि 19 मई को होने वाले मतदान में बढ़ हिस्सा ले और आस पास के लोगो को भी इसके प्रति जागरूक करे।
इस मौके पर सोनभद्र बार एसोसिएसशन के अध्यक्ष रमेशराम पाठक, रवि प्रकाश त्रिपाठी , मोहर देव पाण्डेय , विजयानन्द त्रिपाठी , चन्द्रकान्त मिश्रा , रवि पाण्डेय , विवेक पाण्डेय ,अमित शुक्ला , मोनू पाण्डेय , अजय देव पाण्डेय , आदर्श शुक्ला जगमोहन तिवारी,सुनील,चौबे,सुबोध मिश्रा समेत सैकड़ो की सँख्या में ब्राह्मण समाज के लोग उपस्थित रहे।
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