बच्चों के खाद्यान्न को अध्यापक व कोटेदार ने मिलकर किया घोटाला।

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

मुख्य मंत्री पोर्टल पर शिकायत के बाद मामले का हुआ खुलासा।

बभनी। विकास खंड के कम्पोजिट विद्यालय मचबंधवा में बच्चों के मध्याह्न भोजन का खाद्यान्न वितरण को लेकर प्रधानाध्यापक व कोटेदार के बीच एक बड़ा घोटाला सामने आया है जहां जिसमें लाकडाऊन के दौरान तीन बार में बच्चों को खाद्यान्न दिया जाना था जिसके प्रथम किस्त में अप्रैल मई जून 76दिन का द्वितीय किस्त जुलाई अगस्त में 49 दिन का और तृतीय किस्त सितंबर से फरवरी तक 138 दिन का खाद्यान्न दिया जाना था जिसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य शिवबाबू केशरवानी व कोटेदार के बीच जुलाई अगस्त महीने के खाद्यान्न को हज़म कर लिया गया था ।जब यह बात ग्रामीणों को पता चली तो ग्रामीण प्रधानाध्यापक से पूछने लगे तो बात उनके द्वारा टाल दी जाती थी पर बार-बार पूछे जाने के बाद अध्यापक सख्ते में आ गए ।और गांव के ही जागरूक युवक संतोष कुमार ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर किया जिससे
मामला गंभीर हो चुका और उपरोक्त शिकायत की जांच करने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी बभनी संजय कुमार को दिया गया खण्ड शिक्षा धिकारी द्वारा 24,09,2021को मचबन्धवा विद्यालय पर जाकर उपरोक्त शिकायत के तहत शिकायतकर्ता व सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के साथ कोटेदार को उपस्थित होकर अपना पक्ष मय दस्तावेज को पेश करने के लिए कहा उपरोक्त नोटिस के मुताबिक खण्ड शिक्षधिकारी द्वारा तय समय पर मचबन्धवा विद्यालय पर सभी पक्षों व ग्रामीणों की बात सुनने के उपरांत देखा गया कि बच्चों के हक़ का खाद्यान बच्चों को नहीं मिला।ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए कम्पोजिट विद्यालय मचबन्धवा के प्रधानाध्यापक ने लिखित रूप से बच्चों के हक़ का खाद्यान वितरण हेतु स्वीकार करते हुए 10से 15 अक्टूबर के बीच वितरण करने को अपने हस्ताक्षर व विद्यालय के मोहर के साथ दिया तब ग्रामीण शांत हुए।लेकिन सवाल यहाँ इस बात का प्रश्नचिन्ह लगता है कि एक वर्ष पूर्व बच्चों के हक़ का राशन घोटाला करने वाले अध्यापक व कोटेदार का गुनाह राशन वितरण कर देने से कैसे खत्म हो सकता है।ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे घोटाले बाज़ों के ऊपर शख्त से शख्त कानूनी कार्यवाई होनी चाहिए।अध्यापक का लिखित रूप से घोटाला किये गए राशन को वितरण करने के लिए स्वीकार करना ये साबित करता है कि उपरोक्त 49 दिन का खाद्यान बच्चों को नहीं दिया गया।और शिकायत कर्ता की शिकायत सत्य है।इस मौके पर। संतोष कुमार जय प्रकाश राजू राममनी खरवार अजय कुमार शकलदीप विश्वनाथ मनोज समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानाध्यापक शिवबाबू के द्वारा लिखित दिया गया कि 49 दिन के खाद्यान्न का वितरण मेरे और कोटेदार के समन्वय से वितरण किया जाएगा। विद्यालय के प्रधानाचार्य शिवबाबू केशरवानी से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा हर माह का खाद्यान्न वितरण किया गया है ।जबकि उन्होंने अधिकारी को लिखित रुप से दिया गया है जिसकी प्रतिलिपि भी लोगों के पास है। और कोटेदार का कहना है कि हम खाद्यान्न मास्टर साहब को दे दिए हैं उन्होंने मुझे रिसीविंग नहीं दिया।ग्रामीणों का कहना है कि अध्यापक द्वारा कही गई बात गलत है।उनके द्वारा 49दिन का खाद्यान वितरण नहीं किया गया है।अगर उन्होंने वितरण किया था तो उन्हें लिखित में वितरण करवाने को तैयार नहीं होना चाहिए। जब इस बावत खंड शिक्षा अधिकारी संजय कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि जांच के दौरान अध्यापक की बड़ी गलती पाई गई जिसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

85 वर्षीय कोटेदार के नाम पर कुछ लोग शामिल, कर रहे कोटेदार का बचाव।

बभनी। विकास खंड के मचबंधवा गांव में जब ग्रामीणों के बीच खाद्यान्न घोटाले की बात रखी जा रही थी तब कोटेदार को यह भी पता नहीं था कि हमारे यहां कितने गल्ले की निकासी है और कितने का उठान कितना गल्ला ग्रामीणों को दिया जाता है कितना विद्यालय में जाता है कोटेदार पूरी तरह से अंगूठा टेक था जिस बात को लेकर गांव के ही कुछ युवक बचाव से संबंधित बातें करने लगे और कहने लगे कि ये बुजुर्ग आदमी हैं इनके नाम से कोटे की दुकान बीसों साल से है अब इनका काम हम लोगों में से ही कुछ लोग सहयोग के रुप में देख लिया करते हैं जब इनका जिक्र खबरों में न किया जाय। शिक्षा विभाग से संबंधित मामले की जांच करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी ने अध्यापक की गलती बताते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया परंतु कोटेदार के मामले में न ही ग्रामीण सामने आ रहे हैं और न ही खाद्यान्न विभाग से कोई अधिकारी।जब इस संबंध में खाद्य आपूर्ति अधिकारी रामलाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि ये मामला शिक्षा विभाग का है शिक्षा विभाग ही समझे बाकी बीच में केवल एक ट्रक ही गल्ला आया था जो पर्याप्त मात्रा में नहीं था कुछ कोटेदार ही पा सके थे जिस बात का पता न ग्रामीणों को ही था और न ही कोटेदार समझ पाया।

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