भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर विचार गोष्ठी हुई आयोजित


शक्तिनगर सोनभद्र।संत जोसेफ स्कूल, शक्तिनगर में भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी के शिक्षकों व शिक्षिकाओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतेंदु हरिश्चंद्र को माल्यार्पण कर किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रधानाचार्य फादर आर्चीबाल्ड डिसिल्वा ने हिंदी के लिए फादर कामिल बुल्के के योगदान को याद करते हुए कहा कि हमें हिंदी बोलने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हिंदी हमारी राजभाषा है और हम बचपन से ही हिंदी भाषा से घिरे हुए हैं। हिंदी शिक्षक डॉ0 योगेंद्र वरुण शंकर तिवारी ने आधुनिक हिंदी के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र को काव्यरूपी श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपने व्याख्यान में कहा कि राजभाषा हिंदी प्रत्येक भारतीय प्राणी की अंतरात्मा है एवं यह भारत की एकमात्र ऐसी भाषा है, जो राष्ट्रभाषा के वांछित गुणों से सम्पन्न है। हिंदी ने अन्य भाषाओं के शब्दों को ग्रहण करने में कभी कोई संकोच नहीं किया। समाहार की इसी प्रवृत्ति के कारण ही यह भाषा अत्यंत समृद्ध भाषा होने के साथ ही जनभाषा के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।
शिक्षिका रागिनी शर्मा ने वक्तव्य में कहा कि हमें हमारी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए।
शिक्षिका उर्मिला सिंह ने कहा कि प्रायः विश्व के सभी देशों में हिन्दी में अध्ययन और अध्यापन हो रहा है।
परन्तु अपने ही देश में हिन्दी को वह स्थान व दर्जा नहीं मिल पाया जो मिलना चाहिए था । वर्तमान समाज में हिन्दी भाषा को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हिन्दी के मान-सम्मान को बनाए रखने में हमें अपना पूरा सहयोग देना है। शिक्षक मायाराम गुप्ता ने कहा कि यह हमारा बहुत दुर्भाग्य है कि हम हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं। हम सभी लोगों को हिंदी का सम्मान अपनी माँ के समान करना चाहिए।
कार्यक्रम में शिक्षिका शशि मरांडी, अनिता जोशी तथा इंग्रिड के साथ ही कुछ छात्र भी श्रोता के रूप में उपस्थित रहे।

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