संत सनातन संस्कृति उपासकों की दर्शन यात्रा 16 अगस्त से
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- सदर ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत रूद्र पहाड़ी पर अवस्थित पंचमुखी महादेव मंदिर परिसर में रविवार को गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट से जुड़े संत और सनातन संस्कृति के उपासकों की महत्वपूर्ण बैठक पवित्र श्रावण मास में निकलने वाली गुप्तकाशी दर्शन यात्रा के बाबत हुई। इस दौरान व्यापक विचार मंथन के उपरांत यह निश्चय किया गया कि इस वर्ष 16
अगस्त को अच्छी मुहूर्त होने के नाते उसी तिथि पर दर्शन यात्रा प्रारम्भ की जाएगी। ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे ने बताया है कि 16 अगस्त से ही दर्शन यात्रा का शुभारंभ सोन,रेणुका -त्रिवेणी संगम से स्नान कर सोमनाथ महादेव के जलाभिषेक पूजन से किया जाएगा। श्री चौबे के अनुसार भूतेश्वर दरबार अमर गुफा ओबरा, अचलेश्वर महादेव मंदिर डाला और सोनेश्वर महादेव होते हुए रात्रि प्रवास ओम पर्वत स्थित महामंगलेश्वर मंदिर पर होगा। दूसरे दिन दर्शन यात्रा बाबा मछंदर नाथ के अभिषेक पूजन के बाद आगे के देव दुर्लभ स्थलों के लिए प्रस्थान करेगी। उन्होंने यह यह भी बताया कि पंच दिवसीय दर्शन यात्रा 622 किलोमीटर के परिधि का भ्रमण करते हुए देव दुर्लभ स्थलों का जन सरोकार कराएगी। इसके बाद गुप्तकाशी की पावन धरा पर अवस्थित उमामाहेश्वर के अलौकिक विग्रह शिवद्वार धाम दर्शन पूजन के उपरांत काशी विश्वनाथ के लिए प्रस्थान कर अभिषेक पूजन कर पूर्णता को प्राप्त करेगी। गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे ने सभी धर्मानुरागियों से आग्रह करते हुए कहां है कि श्रद्धा पूर्वक यात्रा में प्रतिभाग करने के लिए अपना पंजीयन 5 जुलाई से ही करा सकेंगे। उन्होंने इसके लिए ट्रस्ट के पदाधिकारियों से मोबाइल नंबर 6392 35 7988 एवं 99 1953 0537 और 6393 54 8022 पर संपर्क कर पंजीयन करा सकते हैं। इस मौके पर गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संपादकीय प्रमुख धर्मेंद्र कुमार पांडेय ने यात्रियों की सुविधा के लिए सर्वप्रथम रूट चार्ट बनाने की बात पर जोर दिया और तैयारियों के बाबत मंत्रणा के साथ बैठक को पूर्णता प्रदान की । इस अवसर पर ट्रस्ट के संदीप पांडेय, राजेश अग्रहरी, दीपक सिंह, प्रशांत मिश्रा, सुनील तिवारी, अंकित चौहान, मृदुल मिश्रा, प्रेम प्रकाश राय, आशीष कुमार यादव, भरत देव, सत्यम पांडेय, नीतीश कुमार चतुर्वेदी, धीरज पांण्डेय, समेत ट्रस्ट से जुड़े तमाम सम्मानित सदस्य मौजूद रहे। समस्त पदाधिकारी मौजूद रहे