बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
अवारा पशुओं की सुरक्षा में बनाया गया गोआश्रम देखरेख के अभाव में बना अवारा।
बभनी। खंड विकास कार्यालय से महज महज दो सौ मीटर की दूरी पर निराश्रित गोआश्रम बनाया गया है जिससे ये छुटे हुए जानवर किसी की फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। जब लोगों के द्वारा किसी भी विकास कार्य की कोई शिकायत की जाती है तो अधिकारी मौके पर पहुंच कर मामले की जांच कर
संबंधितों पर कार्रवाई करते हैं वहीं जब इनके सामने की कमी उजागर होने लगती है तो मामले को नजरंदाज करने में लगे होते हैं। बताते चलें कि अवारा पशुओं के ठहरने के लिए लाखों की लागत से लगभग दो सौ मीटर के जगह में निराश्रित गो आश्रम बनाया गया था पशुओं को पानी पीने के लिए एक छोटा तालाब बनाया गया है लेकिन वो तालाब भी आज खुद पानी के अभाव में निराशा जता रहा है डेंटिंग पेंटिंग कर सरकार के मंशा के अनुरूप गौशाला बनाया गया था जो आज किसी के देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है और लाखों रुपए का समर्सेबल पानी की टंकी और सोलर पैनल गायब हो चुका है जिस बात की सुध लेने के लिए खंड विकास अधिकारी कभी अपने बगल में भी नहीं जाते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो यदि देखरेख के लिए किसी व्यक्ति की नियुक्ति कर दी जाती तो लोगों को अवारा पशुओं से फसलों की हो रही छति से लोगों को निजात मिल जाता और सरकारी धन का सदुपयोग भी होता।