देवर्षि नारद जी जैसी पत्रकारिता करें कलमकार: प्रोफेसर जेपी लाल

विश्व संवाद केंद्र द्वारा मनाई गई देवर्षि नारद की जयंती

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- हमें भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति के प्रति गौरवान्वित होना चाहिए और देवर्षि नारद जी जैसी पत्रकारिता करनी चाहिए। उक्त बातें गुरुवार को विश्व संवाद केंद्र द्वारा देवर्षि नारद जयंती पर आयोजित वेबीनार संगोष्ठी में

बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित काशी विभाग के संघचालक प्रोफेसर जीपी लाल ने कहीं। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता का संदेश स्वयं आद्य संवाददाता देवर्षि नाराद से हमें ग्रहण करना चाहिए ।वे भगवान विष्णु के पास जाकर राक्षसों के उपद्रवों की सूचना ही नहीं देते थे बल्कि उसे समाप्त करने के लिए प्रेरित भी करते थे। उसी प्रकार पत्रकारों को जहां समस्याएं हैं

उसे तो प्रकाशित करना ही चाहिए और उसे समाप्त करने के लिए किस प्रकार एक्शन लिया जाए इस पर भी सार्थक पहल करनी चाहिए। अनावश्यक नकारात्मक चीजों को दिखाने से पत्रकारिता और व्यवस्था के प्रति वितृष्णा का भाव जगता है। वही विशिष्ट वक्ता के रूप में वेबीनार संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि इस वैश्विक महामारी के समय हमें

सकारात्मक पत्रकारिता करके अपने धर्म का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह नकारात्मक सोच का ही परिणाम है कि आज लोगों को कई चैनल बंद करने की सलाह दी जा रही है और इसके पीछे यह लॉजिक दी जा रही है कि नकारात्मक बातों को सुनने और देखने से हमारी इम्यूनिटी पावर कमजोर होती है। वही विंध्य संस्कृत शोध समिति के निदेशक दीपक केसरवानी ने भी देवर्षि नारद की पत्रकारिता से आज की पत्रकारिता को जोड़ते हुए राष्ट्रहित में लेखन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं सोन साहित्य संगम के निदेशक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर लाल साहब एवं विशिष्ट वक्ता विजय शंकर चतुर्वेदी जी की बातों पर सहमति व्यक्त करते हुए देश- काल और समाज हित में सकारात्मक पत्रकारिता करने की बात कही। श्री द्विवेदी ने यह भी कहा कि देवर्षि नारद जी आज भी प्रासंगिक साबित हो सकते हैं बशर्ते हम पत्रकार अपनी आर्थिक कमजोरी को विलुप्त कर देश और समाज के लिए पत्रकारिता का निर्वहन करें। देश को आजाद कराने के लिए कुछ ऐसी ही भूमिका राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय और कई अन्य प्रबुद्ध व राष्ट्रहित चिंतक अलंकारों ने किया था और उनके सकारात्मक सोच से ही अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा था।कार्यक्रम का संचालन जिले के प्रचार प्रमुख नीरज ने किया। इस दौरान समाज के अन्य प्रबुद्ध लोगों के साथ विभाग प्रचारक नितिन, विभाग कारवा दीप नारायण और जिला संघ चालक हर्ष उपस्थित रहे।

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