बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
चिकित्सक प्रसव कराने को विवश।
बभनी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बभनी के हालात बेपटरी हो चुका है जहां उपचार हेतु या तो लोगों को निजी चिकित्सालयों का सहारा लेना पड़ता है या फिर अपनी जान गंवा बैठते हैं। सोमवार को कौशल्या देवी पत्नी बृज बिहारी उम्र 25 वर्ष निवासी घघरी प्रसव कराने स्वास्थ्य केंद्र आई जो मंगलवार की रात लगभग डेढ़ बजे हालत गंभीर होने पर चिकित्सकों ने जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया परंतु परिजनों ने
बताया कि चिकित्सक के अलावा यहां चिकित्सालय में कोई रहता ही नहीं है और एंबुलेंस को चार घंटे से एंबुलेंस को फोन लगाया जा रहा है लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता रहा कोई एंबुलेंस नहीं पहुंच सका महिला की हालत गंभीर होते देख चिकित्सकों ने तत्काल जिला अस्पताल ले जाने को कहा आधीरात लोगों ने किसी प्रकार निजी वाहन किराए पर लेकर जाने लगे और परिजन बुद्धि कुमार बृज बिहारी व कुंती देवी ने बताया कि यहां चिकित्सालय की लचर व्यवस्था को देखकर हम गरीबों का भी भरोसा उठने लगा अब रात में किसी प्रकार से गाड़ी की व्यवस्था कर लिए अब जिला अस्पताल न लेजाकर वहीं बगल के किसी निजी अस्पताल में उपचार कराएंगे।यदि चिकित्सकों की मानें तो परिसर में पहले एंबुलेंस की कमी थी पर कुछ दिनों पूर्व एंबुलेंस भी उपलब्ध हो चुकी हैं पर लोगों के द्वारा संपर्क करने पर उनकी काल वेटिंग में डाल दी जाती है। बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बभनी में वर्षों से किसी भी स्टाफ नर्स वार्ड बॉय व किसी दाई की स्थाई नियुक्ति नहीं मिली है एक संविदा स्टाफनर्स है जिसकी ड्युटी कभी दिन में कभी रात में लगाई जाती है। डॉ.दिशा गुप्ता ने बताया कि स्टाफ नर्स व कुछ आवश्यक उपकरण न होने के कारण हम महिला चिकित्सकों को उपचार के साथ-साथ डेलेवरी भी करानी पड़ती है और हम चिकित्सक हमेशा स्थानीय लोगों के सवालों के घेरे में होते हैं। जब इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बभनी के अधीक्षक डॉ.गिरिधारीलाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि बभनी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण जिले में सबसे ज्यादा प्रसव का मामला बभनी से ही जाता है पर वर्षों से स्टाफों की कमी होने के कारण हमेशा हम विवादों के घेरे में होते हैं जिसके लिए हम वर्षों से मुख्य चिकित्साधिकारी जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भी पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत कराया परंतु अब तक किसी की नियुक्ति हो सकी।