
बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
बभनी। विकास खंड में मंगलवार को हर्षोल्लास एवं धूमधाम से वसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजनोत्सव मनाया गया। सरस्वती पूजनोत्सव को लेकर क्षेत्र के सरकारी एवं निजी विद्यालयों में धूम मची रही। छात्र-छात्रा सुबह विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना कर वीणा वादिनी मां सरस्वती से विद्या का वरदान मांगा।और ‘सरस्वती माता की जय’ के जयकारे से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया। सरस्वती पूजा के अवसर पर जिले के के कई गांव में मेला एवं नाटक मंचन के साथ रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। हालांकि इस वर्ष कोरोना काल का असर इस पर्व पर भी दिखाई दिया।लोग काफी संजिदगी व ऐतिहात के साथ पर्व को मनाते नजर आए। कही प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए तो कही चित्र रखकर ही पूजा अर्चना की।
विकास खण्ड बभनी के दक्षिणांचल ग्रामोदय इण्टर कालेज में माँ सरस्वती के तश्वीर रख कर पूजा अर्चना किया गया। और राजकीय इंटर कॉलेज चपकी इंटरमीडिएट शिक्षण संस्थान देवनाटोला जनता महाविद्यालय अमेरिकन पब्लिक स्कूल समेत अन्य विद्यालय विद्यालयों में छात्र-छात्राएँ और शिक्षकों ने एक साथ मिल कर हवन कर सामूहिक रूप से सरस्वती पूजा की। वही क्षेत्र के अलग अलग शिक्षण संस्थानों में भी हर्षोल्लास के साथ वीणावादिनी माँ सरस्वती जी की पूजा की गई। बताते चलें कि सृष्टि की रचना करते समय ब्रम्हाजी ने जीव जंतुओं के साथ मनुष्य योनि की भी रचना की लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर सन्नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं. उस स्त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। जल धारा कोलाहल करने लगी। हवा सरसराहट कर बहने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की उत्पत्ती बसंत पंचमी के दिन ही की थी. इसलिए बसंत ॠतु में पंचमी तिथि को मां सरस्वती का पूजन-अर्चन किया जाता है।
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