धन्य धरा सोनभद्र की- सूर्यकांत जालान(सुरभि शोध संस्थान)

सोनभद्र।नगर स्थित आलोक कुमार चतुर्वेदी के आवास पर जनपद में चल रहे “सोनभद्र के लाल वर्णमाला कार्यक्रम ” आयोजन समिति की बैठक संपन्न हुई।

बैठक को मुख्य रूप से संबोधित करते हुए सुरभि शोध संस्थान के सूर्यकांत जालान ने कहा कि उक्त कार्यक्रम की आवश्यकता क्यों और किस प्रकार से किया जाए इसका निर्णय इसलिए लिया गया कि क्योंकि सोनभद्र जिला मूल मिर्जापुर जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का दुसरा सबसे बड़ा जिला है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश व 82.72 तथा 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है यह जिला बनने के पूर्व से ही मनीषियों एवं देव पुत्रों को जन्म देने वाला रहा है यहां से स्वतंत्रता के पूर्व से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भगवत कृपा रूपी प्रचारक परंपरा के संवाहक स्वयंसेवकों का राष्ट्र निर्माण हेतु अपने जीवन के संपूर्ण समय को तिल तिल जला देने का निर्णय लिया उनके इन्हीं त्याग और तपस्या व बलिदान को ध्यान में रखते हुए सुरभि शोध संस्थान ने “सोनभद्र के लाल वर्णमाला कार्यक्रम “के तहत उनकी रूचि के अनुसार कार्य करने का निर्णय लिया है जिससे कि वे कहां और कैसे अपने आप को राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया उसकी जानकारी उनके आसपास रहने वाले संपूर्ण समुदाय के लोगों को प्राप्त हो सके तथा उनके स्मृति में कुछ ऐसे कार्य सामाजिक सहयोग से किए जाए जो स्थायित्व प्रदान करने वाले हो।

बैठक को संबोधित करते हुए हरिश्चंद्र त्रिपाठी वरिष्ठ सदस्य सुरभि शोध संस्थान ने कहा कि विंध्य पर्वत मालाओं की श्रृंखलाओं में स्थित जनपद सोनभद्र अनुसूचित जाति जनजाति बाहुल्यता वाला जिला है यहां के दुख ,दर्द व असमानता को देख राष्ट्रीय स्तर पर चिंतन एवं मंथन करने वाले कुल कई जीवन व्रती स्वयंसेवकों ने अपने संपूर्ण सामाजिक कालखंड को राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया प्रथम नाम सुकृत निवासी पूज्य ओमप्रकाश चौबे जी जिनकी हत्या संघ प्रचारक रहते आसाम में उग्रवादियों के द्वारा कर दी गई थी ।द्वितीय नाम लक्ष्मणपुर निवासी पूज्य शारदा प्रसाद द्विवेदी जी थे। तृतीय नाम पूज्य संकठा प्रसाद सिंह ठाकुर साहब थे । ईन के साथ-साथ कई मनीषियों ने सोनभद्र के नाम को राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सेवा के दृष्टि में स्थापित किया इन लोगों ने उस अमिट रेखा को खींचा है जो सदैव सूर्य की किरणों की तरह पुंजाएमान होती रहेंगी। इसीलिए सुरभि शोध संस्थान ने जनपद में इन महान विभूतियों के नाम पर पिछले कुछ महीनों से विश्व की सबसे बड़ी वैश्विक महामारी कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए यहां निवास करने वाले गरीब ,आदिवासी, दिव्यांग विधवा ,अनाथ ,असहाय लोगों के बीच में अंग वस्त्र ,खाद्य पदार्थ के रूप में मौसम के अनुसार कपड़े ,भोजन इत्यादि वितरित करता रहा है अब तक कुल 20000 महिलाओं के वस्त्र ,20000 पुरुषों के वस्त्र 50000, मास्क 50000, भोजन पैकेट 50000, प्राकृतिक संतुलन हेतु पौधे , सैनिटाइजर वितरित किए हैं इस अलौकिक और अनोखी परंपरा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारियों ने भी सराहा है तथा अखिल भारतीय अधिकारियों ने अपने बौद्धिक के कई कार्यक्रमों में यहां सुरभि शोध संस्थान के द्वारा चल रहे इस कार्यक्रम का उदाहरण भी प्रस्तुत किया है जो यह सिद्ध करता है कि सुरभि शोध संस्थान के द्वारा चलाया जा रहा है कार्यक्रम प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर का एक अनोखा कार्यक्रम है।
बैठक को संबोधित करते हुए चल रहे इन सभी कार्यक्रमों के समन्वयक आलोक चतुर्वेदी ने कहा कि जनपद सोनभद्र सदैव सुरभि शोध संस्थान का ऋणी रहेगा क्योंकि सुरभि शोध संस्थान ने इस अनोखी पहल के लिए हमारी धन्य धरा सोनभद्र को चुना है हम धन्य हैं कि ऐसे मनुष्यों के जन्मस्थली क्षेत्र में पैदा हुए। बैठक में करुणाकर ,राज कुमार , रमेश, गणेश देव ,अजय, इत्यादि

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