झांसी।झाँसी के महरानीमेडिकल कॉलेज में बुधबार को वर्ल्ड ब्रेन डे 2020 को लेकर कोबिड 19 वैश्विक महामारी के समय जागरूकता गोष्ठी आयोजित की गई . गोष्ठी में मेडिकल कालेज के वरिष्ठ चिकित्सको ने मस्तिष्क सम्वन्धित परेशानी को लेकर लोगो को डिजिटली जागरूक करने की शुरुआत की।
मस्तिष्क के स्वास्थ्य के प्रति जनजागरूकता फैलाने के लिए हर साल 22 जुलाई को विश्व मस्तिष्क दिवस मनाया जाता है. इस दिन वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी यानी डब्ल्यूएफएन 6वें वार्षिक विश्व मस्तिष्क दिवस के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय पार्किंसंस एंड मूवमेंट डिसऑर्डर सोसायटी के साथ भागीदारी की गई ।
न्यूरोलॉजिस्ट अरविन्द कनकने ने बतया कि वर्ल्ड ब्रेन डे हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग को समर्पित है. इस साल विश्व मस्तिष्क दिवस का दिन पार्किंसंस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित किया गया है, जो कि एक न्यूरोडीजेनेरेटिव मस्तिष्क रोग है और यह ब्रेन फंक्शन को कई तरह से प्रभावित करता है. हमारी प्राथमिकता है कि लोगों को इसके बारे में जागरूक करें जिससे मस्तिक संबंधित बीमारियों से लोगों को बचाया जा सके. मेडिकल कॉलेज में आयोजित गोष्ठी के मौके पर डॉ राम बाबू, डॉ सुधीर कुमार, डॉ सूर्य प्रकाश, डॉ आराधना कनकने सहित कई चिकित्सक उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि वर्ल्ड ब्रेन डे मनाने की शुरुआत वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी द्वारा साल 2014 में हुई थी. अंतरराष्ट्रीय लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी, वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन और इंटरनेशनल हेडेक सोसायटी जैसी कई संस्थाएं साथ मिलकर मस्तिष्क संबंधी विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करती हैं, जिनका मकसद विश्व स्तर पर बेहतर न्यूरोलॉजिकल देखभाल को बढ़ावा देना है।
वर्ल्ड ब्रेन डे का इतिहास
विश्व मस्तिष्क दिवस का इतिहास 22 जुलाई 1957 का है, जब द वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी की स्थापना की गई थी. इसी समिति ने विश्व मस्तिष्क दिवस मनाए जाने की वकालत की थी, जिसके बाद मस्तिष्क के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 22 जुलाई 2014 को पहली बार वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया गया था. हालांकि 22 सितंबर 2013 को इस दिवस को मनाए जाने की घोषणा की गई थी।
हर साल इस दिवस को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है।. विश्व मस्तिष्क दिवस 2020 का मुख्य विषय ‘पार्किंसंस रोग के लिए एक साथ कदम’ है यानी इस साल पार्किंसंस रोग के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी. डॉक्टर अरविंद कनकाने अनुसार, मुख्यधारा की मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, स्थानीय क्षेत्रों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैठकों के जरिए जागरूकता पैदा करने का विचार है।