सोनभद्र।आज 20 जुलाई 2020 पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के संगठन प्रमुख पवन कुमार सिंह ने मांग किया है कि पूर्वांचल को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए।

क्योंकि तेज विकास के लिए छोटे इकाइयों का गठन जरूरी है बी आर आंबेडकर ही उत्तर के हिंदी भाषी प्रांतों या राज्यों के बंटवारे के मूल पक्षधर थे। हालांकि भाषायी आधार पर राज्यों के बंटवारा हो । आज हम जिस जनसांख्यिकीय असंतुलन से गुजर रहे हैं, उसका उन्हें आभास नहीं था। उत्तरी राज्यों में आबादी बढ़ती जा रही है, वहीं दक्षिण के राज्यों ने जनसंख्या विस्तार को नियंत्रण में कर लिया है। किंतु हमारे यहां जनसंख्या निरंतर बढ़ती चली जा रही है जिससे स्वास्थ्य शिक्षा जैसे मूलभूत चीजें हमें नहीं मिल पा रही है इससे अलग छोटे राज्यों झारखंड छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड में यह चीजें हम से बेहतर रूप से मिल रही है इसलिए उत्तर प्रदेश की अधिक आबादी को देखते हुए पूर्वांचल जैसे छोटे राज्यो का गठन करना होगा। साल 1971 से ही इसे टाला जा रहा है। डॉ
आंबेडकर ने यह प्रस्ताव रखा था कि एक राज्य की आबादी 2 करोड़ हो सकती है। इसकी तुलना विदेशों से करना फायदेमंद हो सकता है। अमेरिका की कुल आबादी 30 करोड़ है और यहां 50 राज्य हैं। इस लिहाज से हर राज्य की आबादी 60 लाख हुई।
जर्मनी के 8.6 करोड़ लोगों के लिए 17 संघीय राज्य हैं। यानी यहां प्रति राज्य आबादी का औसत अमेरिका से भी कम हुआ। दक्षिण अफ्रीका की आबादी 4.9 करोड़ है और यहां 9 प्रांत हैं, अर्जेंटीना की आबादी 4 करोड़ और 23 प्रांत और वियतनाम की आबादी 8.7 करोड़ और 58 प्रांत। तस्वीर साफ है। अगर लोकतांत्रिक देशों के बीच प्रति राज्य औसत आबादी की बात करें तो भारत में यह काफी अधिक है। इन सभी समस्याओं का हल तभी हो सकता है जब पूर्वांचल को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए !
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