
सोनसाहित्य संगम का आयोजन।
हर तरफ़ खून के छीटें हैं , उधर मत जाओ .
सोनभद्र । एक निर्धन व्यक्ति यह सोच के परेशान है , कुछ खाने को
मिल जाता तो रात में नींद आ जाती। जबकि एक धनवान इस लिए परेशान है की क्या खाँय
की रात में नींद आ जाय। यह
बातें रविवार को रॉबर्ट्सगंज में
सोनसाहित्य संगम चयन समिति
द्वारा ‘ आलम स्मृति काव्य गौरव
सम्मान से सम्मानित हुए कवि
सुशील राही अपने निज आवास
पर आयोजित संक्षिप्त आयोजन में कह रहे थे। हिन्दू – मुस्लिम एकता के लीजेंड रहे आध्यात्मिक स्मारिका के प्रधान संपादक ‘ यथार्थगीता ‘ के उर्दू अनुवादक शायर मुनीर बख़्श आलम की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित आयोजन में अपनी रचनाओं से मुख्य अतिथि रहे श्री राही लोगों को प्रभावित किए। पढ़ा, ‘ हर तरफ़ खून के छीटें
हैं , उधर मत जाओ ,
आदमी शेर है , चीता है , उधर मत जाओ ‘ ।
इसलिए हुआ आज
अध्यक्षता कर रहे मीडिया फोरम ऑफ इंडिया ( न्यास ) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने कहा आलम साहब सौहार्द के प्रतीक
थे । उनकी पहली पुण्यतिथि 10 जून को ही थी। लेक़िन कोरोना
संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय
लिया गया कि सोशल डिस्टेंसिंग
का पालन करते हुए चयनित साहित्यकार के घर पर चलकर उन्हें वहीं सम्मान दिया जाय । इसी क्रम में आज यह छोटा आयोजन किया गया है ।
दिया सम्मान
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सुशील राही को चयन समिति के
सोनसाहित्य संगम के संरक्षक
मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी , संयोजक राकेश शरण मिश्र एडवोकेट , समिति के चेयरमैन
भोलानाथ मिश्र आदि ने अंगवस्त्रम , सम्मानपत्र , माला
समेत शब्द प्रसून से स्वागत सत्कार किया ।
गोष्ठी में बोले विद्वान
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तन्हाई में बैठे अकेले ,
दिल को समझाएँगे लोग ।
मैं न रहूँगा तब मेरे इन गीतों
को गायेंगे लोग ‘। कहा गया
आलम साहब की शायरी दिल को
छू कर दिल में उतर जाती है । उनका ग़म ज़माने का गम था ।
इन्होंने रखे विचार
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सँयुक्त बार एसोसिएशन के प्रदेश
अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ,पत्रकार परमेश्वर दयाल श्रीवास्तव ”पुष्कर”, विन्ध्य सँस्कृति शोध समिति के निदेशक
दीपक कुमार केशरवानी, दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी,शिवनारायण शिव, सूत्रधार पत्रकार भोलानाथ मिश्र रहे।
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