आरोप सिद्ध होने के बाद क्यों नहीं दर्ज कराया जा रहा मुकदमा। डीपीआरओ के आदेश के बीस दिन बाद भी नहीं हुई कार्यवाही।

आरोप सिद्ध होने के बाद क्यों नहीं दर्ज कराया जा रहा मुकदमा।डीपीआरओ के आदेश के बीस दिन बाद भी नहीं हुई कार्यवाही।प्रयागराज-लवकुश शर्माहनुमानगंज. तीन माह पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा साढ़े नौ लाख रुपये गबन करने के मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी प्रयागराज के निर्देश के बाद भी ब्लॉक कर्मियों द्वारा दोषी ग्राम पंचायत अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया जा रहा है. जिला पंचायत राज अधिकारी ने बीस दिन पूर्व मुकदमा दर्ज कराने का आदेश प्रभारी सहायक विकास अधिकारी को दिया है इसके बाद भी किन परिस्थितियों में ब्लॉक कर्मी ग्राम पंचायत अधिकारी को बचाने में लगे हुए हैं.विकास खण्ड बहादुरपुर के कसेरुआ कला गाँव के ग्राम प्रधान लक्ष्मी चन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाते हुए अधिकारियों से शिकायत की कि ग्राम पंचायत अधिकारी राजकुमार सिंह द्वारा डोंगल का दुरूपयोग करते हुए प्रधान के मानदेय सहित साढ़े नौ लाख रुपये की धनराशि निकाल ली. साथ ही ब्लॉक में ही तैनात एक तकनीकी सहायक की पत्नी के नाम बने ठेकेदारी संस्था जिसका जीएसटी रजिस्ट्रेशन नम्बर निरस्त हो चुका है ऐसी संस्था के नाम भुगतान करा दिया गया जबकि ग्राम प्रधान का आरोप है कि उस संस्था से मैंने कोई भी न काम लिया है और न कोई सामान ही खरीदा गया है. प्रधान की शिकायत पर मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी रेनू श्रीवास्तव ने जांच की जिसमें प्रधान द्वारा लगाये गये आरोप सही पाया गया जिसमें डीपीआरओ ने अपने पत्रांक संख्या 548 दिनांक 1/6/20 के तहत स्पष्ट आदेश प्रभारी सहायक विकास अधिकारी पंचायत अखिलेश यादव को आरोपी ग्राम पंचायत अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराकरअधोहस्ताक्षरी को अवगत कराने का दिया. उक्त आदेश के बीस दिन बीत जाने के बाद भी ब्लॉक कर्मियों ने आरोपी ग्राम पंचायत अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा नहीं दर्ज कराया गया.आज तक इसी ब्लॉक में तैनात है तकनीकी सहायकहनुमानगंज. मनरेगा के तहत नियुक्त हुये तकनीकी सहायकों में सभी तकनीकी सहायकों का स्थानांतरण हो गया किन्तु अपनी पत्नी के नाम ठेकेदारी संस्था का पंजीकरण कराकर नाजायज लाभ लेने वाला तकनीकी सहायक तैनाती के बाद से इसी ब्लॉक में तैनात है और विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों का चहेता बना हुआ है. जांच के बाद इस तरह जीएसटी नम्बर निरस्त होने के बाद भुगतान करा लेने के बाद भी उक्त तकनीकी सहायक जांच के दायरे में नहीं है और न ही अधिकारियों द्वारा उस पर कार्यवाही ही सुनिश्चित की गयी. इससे स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारी इस तकनीकी सहायक को बचा रहे है. और आरोपी ग्राम पंचायत अधिकारी के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा रहा है.

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