जरायाम की दुनिया का बादशाह सुन्दर भाटी सोनभद्र की जेल पहुँचा।

पूर्वांचल के अपराध जगत में खलबली मची है

लखनऊ। लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय रह चुके संगीन मामलों के आरोपित जरायम के दुनिया मे बेताज बादशाह सुन्दर भाटी को हमीरपुर की जेल रास नहीं आयी। एक लाख रुपये के इनामी रह चुके इस अपराधी को पुलिस ने नाटकीट ढंग से गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा था जहां से प्रशासनिक आधार पर इसका तबादला हमीरपुर जेल कर दिया। जरायम जगत में व्याप्त चर्चाओं की माने तो सुन्दर भाटी ने पूर्वांचल के अपना दबदबा बनाने के लिये येन केन प्रकारेण अपना तबादला किसी ‘सुरक्षित जेल’ में कराने का अनुरोध किया था। दावा किया जा रहा है कि इसके चलते ही कुख्यात अपराधी को सोनभद्र जेल भेजा गया है। प्रदेश शासन के विशेष सचिव सुरेश कुमार पाण्डेय ने 28 मई को ही इसके लिए आदेश जारी कर दिया था जिसका नतीजा रहा कि शनिवार को कड़ी सुरक्षा और निजी लक्जरी वाहनों के लाव-लश्कर के साथ सुन्दर भाटी सोनभद्र आ पहुंचा।जरायम के दुनिया मे सुंदर भाटी पूर्वान्चल का डान मुन्ना बजरंगी का स्थान लेना चाह रहा है।जो प्रतिद्वंदी गिरोहों के लिए बढ़ेगा खतरा
गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा (गौतम बुद्ध नगर) निवासी कुख्यात का पहले से सरकारी ठेका-टेंडर समेत दूसरे कामों में दखल रहती रही है। सोनभद्र में बालू-गिट्टी समेत खनन के दूसरे कामों के साथ कई विकास योजनाएं चल रही है। माना जा रहा कि जिस बाहुबली ने सुन्दर भाटी को यहां तक पहुंचाया है वह उसकी मदद से अपने प्रतिद्वंदियों को अरदब में लेने का प्रयास करेगा। खास यह कि विवादों में रहे नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण ने इसके 50 हजारी का इनामी भतीजे अनिल भाटी को गिरफ्तार कराया था।
पूर्वांचल के अपराध जगत में खलबली
सुन्दर भाटी के आगमन की जानकारी मिलने के साथ पूर्वांचल के अपराध जगत में खलबली मची है। दरअसल इसी जेल में है मुख्तार का खास माने जाने वाले अंगद राय ने भी डेरा जमा रखा था। दो साल पहले बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद से प्रतिद्वंदी गिरोह के सदस्य के आने के साथ जेल से लेकर बाहर तक खेमाबंदी तेज होने लगती है। सुन्दर भाटी का यहां के अपराधों से कोई सीधा सरोकार नहीं है। अलबत्ता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लंबे समय से उसकी भिडंत कुख्यात अनिल गुजाना गैंग से होती रहती है। दोनों के बीच दशकों से चल रही भिडंत में अब तक दर्जनों हत्याएं भी हो चुकी हैं।

बताते चले कि सुंदर भाटी का आपराधिक पृष्टभूमि क्या है वह ग्रेटर नोएडा के घंघोला निवासी सुंदर भाटी नरेश भाटी का साथी था। गिरोह का अच्छा खासा दबदबा था। दोनों ने दिल्ली व फरीदाबाद समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना आतंक फैला रखा था। पुलिस की ओर से सुंदर पर एक लाख रुपये के इनाम भी घोषित किया गया था। कुछ समय बाद दोनों में दुश्मनी हो गई। दरअसल, सुंदर भाटी सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था जबकि नरेश भाटी भी ऐसी ही इच्छा रखता था। इसके अलावा दोनों की जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर भी थी। इसके बाद सुंदर और नरेश में गैंगवार शुरू हो गई। फिर दोनों विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए लेकिन हार गए। मार्च 2004 में सुंदर ने नरेश की हत्या की हत्या करा दी।सुंदर भाटी का भी अपना गैंग बन चुका था। इसमें गांव के नए युवा ज्यादा आने लगे। उस पर दिल्ली, हरियाणा, यूपी समेत कई राज्यों में मर्डर, लूट, रंगदारी समेत कई मामले दर्ज हैं। यूपी पुलिस ने काफी मेहनत के बाद 2014 में उसको गिरफ्तार कर लिया था। वह अपने गांव घंघोला में परिवार वालों से मिलने आया था। फिलहाल वह हमीरपुर जेल में है। इसके बावजूद उसका खौफ गौतमबुद्ध नगर के जिलों के आसपास भी देखा जा सकता है।दादरी के पास स्थित गांव दुजाना के नाम का सिक्का पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चलता है। दुजाना गांव के लोग किसी से झगड़ा होने पर बस गांव का नाम ही लेते हैं। इसकी एक वजह अनिल दुजाना भी है। जून 2016 में हुए जिला पंचायत चुनाव में अनिल दुजाना भी मैदान में खड़ा हुआ था। पुलिस ने उसके घर से हथियारों का जखीरा भी बरामद किया था। उसके खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके सामने खड़े निर्दलीय प्रत्याशी संग्राम सिंह को बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर प्रचार करना पड़ता था। इतना ही नहीं उनको मंत्री से भी ज्यादा सुरक्षा मिली हुई थी। हालांकि, दुजाना जेल में रहते हुए चुनाव जीत गया था पर चुनाव रद्द कर दिए गए थे। अनिल दुजाना गैंग के पास तो एके—47 भी मिल चुकी है। फिलहाल वह बांदा जेल में है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी की हत्या के लिए अनिल दुजाना और मुकीम काला गैंग ने हाथ मिला लिया था। मुकीम को हथियार, शूटर और छिपने का ठिकाना मिल गया इसलिए वह भी राजी हो गया। अनिल और मुकीम गैंग को मिलाने में अनिल दुजाना गैंग के मास्टर माइंड शहजाद मामा का अहम रोल है। शहजाद दिल्ली में एक मंत्री की गाड़ी चलाता है। इतना ही नही अनिल दुजाना गैंग ने 2011 में साहिबाबाद में सुंदर भाटी पर हमला किया था। जिसमें वह बाल-बाल बच गया। इसके बाद दोनों गैंग खुदको मजबूत करने के साथ ही अपने विरोधियों की हत्या भी करते रहे। राजनीतिक कारण से 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान एक नेता ने दोनों गैंग के बीच समझौता करा दिया। चुनाव खत्म होने के बाद सुंदर भाटी ने अनिल दुजाना के भाई जयभगवान की हत्या करा दी। जिसके बाद अनिल ने सुंदर भाटी की हत्या की योजना बनाई। जिससे उसने शहजाद को अवगत कराया। शहजाद ने गैंग के विस्तार का प्लान समझाया। इसी के तहत मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में गैंग संचालित कर रहे मुकीम काला से अनिल को मिलवाया गया। सहारनपुर में सीओ के सिपाही की हत्या के बाद मुकीम का नाम अपराध की दुनिया में तेजी से बढ़ा। उसपर पचास हजार का इनाम भी घोषित हो गया। दोनों गैंग में साथ काम करने पर सहमति भी बन गई। दादरी में हरेंद्र की हत्या में मुकीम गैंग ने साथ दिया तो मुजफ्फरनगर में दोहरे हत्याकांड में अनिल गैंग ने साथ दिया।
सुंदर भाटी की हत्या करने की योजना अनिल और मुकीम गैंग बना रहे थे। इसी बीच सुंदर भाटी को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने पकड़ लिया। उस समय सुंदर की गिरफ्तारी पर सवाल भी उठे थे।

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