लॉकडाउन की पीड़ा रास्ते में हुई डिलीवरी

लॉकडाउन की पीड़ा रास्ते में हुई डिलीवरी

2 घंटे बाद पैदल तय करना पड़ा 150 किमी. का दर्द का सफर

जिला सतना

आशीष कुमार दुबे ब्यूरो

सतना: सतना जिले के उचेहरा तहसील के खोखर्रा वेलहाई की रहने वाली आदिवासी महिला शकुंतला गर्भावस्था में भी अपने घर के लिए परिवार संग पैदल ही रवाना हो गई. करीब 70 किलोमीटर पैदल सफर तय करने के बाद शकुंतला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया. जिसके बाद भी शकुंतला ने हार नहीं मानी और महज दो-तीन घंटे आराम करने के बाद एक फिर हिम्मत जुटाकर अपने परिवार के साथ पैदल ही 150 किलोमीटर का सफर तय कर महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर पहुंची।

सरकारी दावों की पोल खोलती सतना से एक प्रवासी दंपति की कहानी सामने आई हैं. ये मजदूर दंपति काम के सिलसिले में नासिक गए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण वहीं फंसे रह गए और वापस आने के लिए कोई साधन नहीं मिलने पर गर्भावस्था के नौंवे महीने में भी नासिक से घर के लिए पैदल निकल पड़ी. बता दें, महिला को लगभग 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर स्थित पिंपलगांव पर प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, जिसके बाद रास्ते मे ही चार साथी महिलाओं की मदद से शकुंतला ने नवजात बच्ची को जन्म दिया।

डिलीवरी के बाद नवजात को लेकर शकुंतला को 150 किलोमीटर का पैदल लंबा सफर तय करना पड़ा. जानकारी के मुताबिक बीते शनिवार को शकुंतला बिजासन बॉर्डर पर पहुंची थी। उसके गोद में नवजात बच्चे को देख चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंची. जहांं महिला ने कहा कि अब वो पैदल नहीं चल सकती है। इसके बाद शकुंतला और उसके साथ के सभी लोगों को एक कॉलेज में रोका गया।

शकुंतला ने बताया कि उसे बॉर्डर पर महाराष्ट्र शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली. MP बॉर्डर पहुंचते ही उन्हें वाहन उपलब्ध कराया गया और उनके गृह जिले के लिए रवाना किया ।

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