कोरेना से यूपी के गोरखपुर में पहली मौत के बाद फैला खौफ

कोरोना: कोरेना वायरस के संक्रमण से उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जनपद में पहली मौत के बाद फैला खौफ वही अबतक 103कोरोना से संक्रमित पाये गये।हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नही हुई है।

यूपी में कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 103 पहुंच गया है।कोरेना से यूपी में पहली मौत गोरखपुर में हुई। मंगलवार देर रात तक सात और नए रोगी सामने आए। इसमें बरेली के पांच और नोएडा व गाजियाबाद का एक-एक मरीज शामिल है। अब तक सर्वाधिक 39 मरीज नोएडा में पाए गए हैं।

उधर, 261 संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। अब तक कोरोना वायरस 15 जिलों में अपने पांव पसार चुका है। यूपी में अभी तक जो सर्वाधिक 39 मरीज नोएडा में मिले हैं, उनमें अधिकतर एक निजी कंपनी सीज फायर के कर्मचारी व अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा मेरठ में 19, आगरा में 11, लखनऊ में नौ, गाजियाबाद में आठ, बरेली में छह, पीलीभीत व वाराणसी में दो- दो और मुरादाबाद लखीमपुर खीरी, कानपुर,शामली, जौनपुर, बागपत व बुलंदशहर में एक-एक मरीज पाया गया है। इसके अलावा अभी तक कोरोना वायरस के पॉजिटिव पाए गए 17 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी भी दी जा चुकी है। इसमें आगरा के आठ, नोएडा के छह गाजियाबाद के दो व लखनऊ का एक मरीज शामिल है। बताते चले किकोरोना से गोरखपुर में पहली मौत के बाद बस्‍ती के गांधीनगर क्षेत्र के तुर्कहईया मोहल्‍ले से लेकर बस्‍ती जिला अस्‍पताल और गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज तक खौफ फैल गया है।

शुरुआती लक्षणों को गम्‍भीरता से न लेने, मरीज के बारे में पूरी जानकारी न होने, शुरू से ही सावधानी न बरतने जैसी तमाम बातें हैं जिनकी जांच-पड़ताल आगे जरूर होगी लेकिन इतना तो अभी भी साफ है कि इस एक गलती ने बस्‍ती से गोरखपुर तक कितने लोगों को संक्रमित किया होगा कहा नहीं जा सकता।अब तो यह प्रशासन पर है कि वह 25 वर्षीय हसनैन अली के सम्‍पर्क में आए एक-एक शख्‍स को खोजे, आइसोलेट करे और जांच कराकर पता लगाए कि उन्‍हें कोरोना है या नहीं। तब तक ये सारे लोग कितने और लोगों को संक्रमित कर चुके होंगे इस बारे में भी कुछ कहा नहीं जा सकता।

हसनैन अली के परिवारवालों और पड़ोसियों का कहना है कि वह दो महीने से बीमार था। इस दौरान मोहल्‍ले के ही दो डॉक्‍टरों ने उसका इलाज किया। तबीयत में सुधार न होने पर उन्‍हीं में से एक डॉक्‍टर ने उसे बस्‍ती जिला अस्‍पताल भेजा। हालत और बिगड़ी तो रविवार को उसे गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज ले जाया गया जहां सोमवार की सुबह आठ बजे उसकी मौत हो गई। परिवार की यह कहानी यदि यह सही है तो निश्चित ही हसनैन अली के मोहल्‍ले में कई ऐसे लोग, दोस्‍त-मित्र होंगे जो उसके सम्‍पर्क में आए होंगे। मोहल्‍ले में उसका इलाज करने वाले दोनों डॉक्‍टर, उनका स्‍टॉफ, बस्‍ती जिला अस्‍पताल के डॉक्‍टर और स्‍टॉफ और बीआरडी मेडिकल कालेज के डॉक्‍टर, नर्सें, लैब टेक्निशियन, वार्ड ब्‍वाय और स्‍टॉफ के दूसरे तमाम लोग हसनैन के सीधे सम्‍पर्क में आए।

रविवार को हसनैन को गोरखपुर मेडिकल कालेज लाया गया तो उसे सबसे पहले ट्रामा सेंटर में देखा गया। यहां से उसे मेडिसिन विभाग के वार्ड नंबर 14 भेज दिया गया। हसनैन को डॉक्‍टरों ने कोरोना वार्ड में तब भेजा जब रविवार रात उसकी तबीयत ज्‍यादा बिगड़ गई। जाहिर है कि इसके पहले तक किसी को शक भी नहीं था कि उसे कोरोना है। लिहाजा, हसनैन के साथ बस्‍ती से गोरखपुर तक आम मरीजों जैसा ही सलूक किया जा रहा था। उसे आम मरीजों के साथ ही रखा भी गया।

लिहाजा, यह पता करना इतना आसान भी नहीं कि इस दौरान कितने स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी और आम लोग हसनैन के सम्‍पर्क में आए और उसके अंदर पल रहे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। भूसे में सूई ढूंढने जैसा यह काम शुरुआती गलतियों की वजह से गोरखपुर और बस्‍ती प्रशासन के जिम्‍मे आ पड़ा है। सैकड़ों लोगों, डॉक्‍टरों,नर्सों और पैरामेडिकल स्‍टॉफ की जिंदगी इस एक गलती की वजह से खतरे में पड़ गई है। फिलहाल गोरखपुर से बस्‍ती तक हसनैन का इलाज करने वाले डॉक्‍टरों और स्‍टॉफ को आइसोलेशन में भेजा गया है। बताया जाता है कि हसनैन बस्‍ती में ही जमात में बतौर सेवादार कार्यरत था। उसने हाफिज की पढ़ाई की थी। तीन माह पहले ही उसका निकाह तय हुआ था। उसके मोहल्ले को भी क्वारंटीन करने की तैयारी चल रही है।हालांकि अभी तक यह स्पस्ट नही हो पाया है कि मौत कोरेना वायरस से हुई कि नही।

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